नई दिल्ली। राजधानी में दो माह से जारी डेंगू व चिकनगुनिया के प्रकोप पर दिल्ली सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दायर न करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नाराजगी जताई है। एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने स्पष्ट कहा कि सभी सिविक एजेंसियां 21 सितंबर को उनके द्वारा जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें अन्यथा प्रत्येक सरकारी विभाग पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की रकम अधिकारियों की जेब से कटेगी।
एनजीटी ने कहा कि बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि किसी भी सिविक एजेंसी ने इस मुद्दे पर गंभीरता से काम नहीं किया है, जबकि आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़े इस मुद्दे पर जल्दी काम होना चाहिए था। यह उनके कर्तव्यों के खिलाफ है। एजेंसियों का यह रुख लोगों के मूलभूत अधिकारों के भी खिलाफ है।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि जिला प्रशासन अवैध कॉलोनी समेत अपने यहां स्थित तीन कॉलोनियों की सूची तैयार करे। डेंगू-चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन कॉलोनियों में मच्छर न पनपें।
17 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने एनजीटी से रिपोर्ट दायर करने के लिए एक दिन का समय मांगा था। इससे पूर्व एनजीटी ने कहा था कि इस मुद्दे पर सिविक एजेंसियों के आंकड़े झूठ का पुलिंदा है। राजधानी में हर तीसरा आदमी बीमार है।
निगमों ने कहा था कि 7 लाख घरों मे 8 बार मच्छरों के लार्वा की जांच की जा चुकी है। पेश मामले में सेवानिवृत वैज्ञानिक महेंद्र पांडेय ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप है और सरकारी तंत्र इस पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहा है।