माला दीक्षित, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) ने पनामा पेपर्स लीक को लेकर दायर जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि विदेश में बैंक खाता रखना कोई अपराध नहीं है।
उदार भुगतान योजना के तहत या आरबीआइ से अनुमति लेकर खोला गया खाता कानून का उल्लंघन नहीं है। अपने हलफनामे में बैंक ने यह स्पष्ट किया है। शीर्ष अदालत ने नोटिस भेज कर रिजर्व बैंक से जवाब मांगा था। मामले में सोमवार को सुनवाई होगी।
देश के बाहर लेनदेन और विदेश में रकम रखने के लिए विदेश में खाता खोला जाता है। पनामा पेपर्स लीक में कर चोरी में ऐसे ही सैकड़ों खाते का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है। वकील एमएल शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर जिन भारतीयों का नाम आया है उनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, सीबीआई, सेबी और आरबीआई को नोटिस जारी किया था।
रिजर्व बैंक ने हलफनामे में कहा है कि जनहित याचिका सुनने लायक नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाए। प्रशासनिक और विधायी अधिकारों के तहत लिए गए आर्थिक और वित्तीय फैसलों को जनहित याचिका के जरिए चुनौती नहीं दी जा सकती है। याचिका में कई गलत तथ्य दिए गए हैं।
आरबीआई ने विजय माल्या के विदेश में खाता होने की जानकारी के बावजूद सेबी द्वारा कार्रवाई नहीं करने के आरोपों का खंडन किया है। बैंक ने कहा है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के तहत जांच का अधिकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को है न कि उसे।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि भारतीय के लिए विदेश में खाता रखने और उसमें जमा रकम की सीमा के बारे में फेमा के तहत नियम बना हुआ है। नियम के तहत आरबीआई शर्तों के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोलने की इजाजत दे सकता है। इसके अलावा फरवरी 2004 में उदार भुगतान स्कीम शुरू की। जिसमें लोगों को पैसा भेजने की सुविधा दी गई। इसी वर्ष 1 जनवरी को जारी दिशा निर्देश में आरबीआई की पूर्व मंजूरी के बगैर भारत के बाहर विदेशी मुद्रा खाता खोलने और लेनदेन करने की छूट दी गई।
आरबीआई ने कहा है कि उसे यूनीटेक के प्रमोटर्स (अजय चंद्रा और संजय चंद्रा) के स्वीस बैंक यूबीएस में खाता होने की कोई जानकारी नहीं है। भारत सरकार ने पनामा पेपर्स मामले में जांच के लिए मल्टी एजेंसी ग्र्रुप का गठन किया है जिसमें आरबीआई भी शामिल है। रिजर्व बैंक इस बारे में बैंकों से सूचना एकत्र करने में हर संभव सहयोग कर रहा है।