साक्षरता और समृद्धि से भी बढ़ी मुकदमों की संख्या

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने कहा है कि देश के विभिन्न न्यायालयों में लम्बित पड़े मामलों का सम्बंध प्रत्यक्ष तौर पर साक्षरता व समृद्धि से भी है। ऐसा विभिन्न अध्ययनों में सामने आया है। उन्होंने कहा कि जहां लोग शिक्षित हैं, वहां वह अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा जागरूक है और उच्च साक्षरता दर के कारण अपनी छोटी-छोटी शिकायतों के लिए भी अदालतों की शरण लेते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देश विभिन्न अदालतों में लम्बित पड़े मामले एक निरंतर प्रक्रिया है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर आज शिमला के समीप घण्डल में हिमाचल प्रदेश न्यायिक विधिक अकादमी के छात्रावास खण्ड का लोकार्पण करने के उपरांत बोल रहे थे। उन्होंने इस मौके पर बैकलॉग निपटाने के मामले में हिमाचल और केरल हाईकोर्ट की पीठ भी थपथपाई। न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर ने बाद में घण्डल में ही 137 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि न्यायालयों में लम्बित मामले चिंताजनक है।

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