जगदलपुर। नक्सल मोर्चे पर तैनात देश के सबसे बड़े अर्धसैन्य बल सीआरपीएफ में स्थानीय युवाओं की भर्ती व बस्तर में उनकी तैनाती के ब्लू प्रिंट को आखिरकार केंद्रीय गृह विभाग ने मंजूरी दे दी है। दो साल पूर्व बने योजना के तहत स्थानीय युवाओं को शामिल कर पृथक लोकल बटालियन का गठन किया जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया में आदिवासियों को रियायत भी दी जाएगी। नक्सल विरोधी अभियान के तहत सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन लंबे समय से बस्तर में तैनात हैं। भौगोलिक परिस्थितियां, स्थानीय बोली-भाषा व जंगलवार की टेक्टिस आदि विषयों की अनभिज्ञता के चलते देश के अन्य राज्यों से आए जवानों को तकनीकी रूप से दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
वहीं स्थानीय परिवेश की जानकारी न होने के चलते भी पूर्व में बल को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। नक्सलियों के गोरिल्ला वार की तोड़ के लिए दो साल पूर्व सीआरपीएफ के रेंज मुख्यालय ने स्थानीय युवाओं की एक अलग बटालियन के गठन का ब्लू प्रिंट तैयार किया था। योजना के तहत संभाग से एक हजार युवाओं के आवेदन लिए गए थे। पृथक बटालियन के गठन का प्रस्ताव केंद्रीय गृह विभाग को भेजा गया था।
हाल में ही गृहविभाग ने इसे मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार केंद्र की मंजूरी के बाद अब स्थानीय बस्तर बटालियन के गठन का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए जल्द ही आधिकारिक तौर पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए जाएंगे। चयनित जवानों को गोरिल्ला युद्घ प्रशिक्षण प्रदान करने के बाद उनकी तैनाती संभाग में की जाएगी।
पहले भी हुई हैं स्थानीय भर्तियां
विभागीय सूत्रों के अनुसार इसके पूर्व भी सीआरपीएफ की ओर से सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा व नारायणपुर जिलों में भर्ती रैलियों के माध्यम से स्थानीय युवाओं की भर्तियां की गई हैं लेकिन पृथक बटालियन की अवधारणा न होने से उनकी तैनाती देश के विभिन्न राज्यों में तैनात टुकड़ियों में हो गई और क्षेत्रीयता का लाभ बस्तर को नहीं मिल सका था। अब लोकल बटालियन के एक हजार जवानों की तैनाती बस्तर संभाग में ही की जाएगी। नक्सलियों से निपटने के लिए एसपीओ व कोया कमांडो की तैनाती पुलिस बल के द्वारा की गई है। साथ ही लोकल आदिवासी जवानों को शामिल कर डीआरजी का गठन भी किया गया है। नक्सल फं्रट पर इसका व्यापक लाभ फोर्स को मिल रहा है।
स्थानीय होने का यह होगा लाभ
जानकारों की मानें तो बस्तर के स्थानीय युवकों को लोकल बटालियन में शामिल करने से बल को सामरिक रूप से व्यापक लाभ मिलेगा। नक्सलियों के स्ट्रेटजी की काट में भी आसानी होगी। जंगली रास्तों का ज्ञान, गश्त के दौरान दूरी तक पैदल चलने की क्षमता, प्रतिकूल वातावरण में चुस्ती-फुर्ती से मूवमेंट की क्षमता, मलेरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता से युक्त होने के अलावा गोंडी, दोरली, हल्बी आदि बोलियों का ज्ञान जैसे खूबियां होने से बल को नक्सल टेक्टिस से निपटने में काफी मदद मिलेगी।
बल को मिलेगी मजबूती
‘स्थानीय जवानों को शामिल किए जाने से बल के सामरिक ताकत में इजाफा होगा। लोकल बटालियन को केंद्र से मंजूरी मिल गई है। चयन प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।’
-संजय यादव, डीआईजी सीआरपीएफ बस्तर