आर सेधुरमन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 3 अप्रैल
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में बने आश्रय स्थलों में रह रही गरीब विधवा महिलाओं की स्थिति जानने का फैसला किया है। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि उसने इन महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आश्रय स्थलों को दी जाने वाली ग्रांट में इस साल से 4 गुणा वृद्धि की है। एनवायरनमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन फाउंडेशन नामक एनजीओ द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर और एनवी रमन की खंडपीठ ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओड़िसा को निर्देश दिये कि इन आश्रय स्थलों को चलाने जाने के संबंध में 3 सप्ताह में स्टेटस रिपाेर्ट दाखिल करें। खंडपीठ ने राष्ट्रीय महिला आयोग को भी निर्देश दिये कि वह भी जांच करे कि यहां महिलाओं को क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं और इसकी विस्तृत रिपोर्ट मामले की अगली सुनवाई यानी 22 अप्रैल तक दाखिल करे।
वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर शपथपत्र में कहा कि सरकार ने इन आश्रय स्थलों को दी जाने वाली ग्रांट 15,210 रुपये (प्रति महिला सालाना) से बढ़ाकर 61, 267 रुपये (ए-ग्रेड शहर के लिए), 53,267 रुपये (बी-ग्रेड शहर) और 48,467 (सी-ग्रेड शहर) कर दी है।