अरविंद पांडेय। नईदिल्ली। फ्लोराइड युक्त जहरीले पानी के संकट से जूझ रहे मध्यप्रदेश को अब जल्द ही इससे मुक्ति मिलेगी। केंद्र ने इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मुहिम छेडी है। जिसमें मप्र को भी शामिल किया है। अभियान के पहले चरण में देश के फ्लोराइड प्रभावित उन क्षेत्रों को साफ पीने का पानी मुहैया कराया जाएगा, जहां अभी लोग इसे पीने के लिए मजबूर है।
इनमें राज्यों की भी भागीदारी तय की गई है। केंद्र सरकार ने इसके तहत मप्र सहित फ्लोराइड युक्त पानी से प्रभावित देश के 15 राज्यों के लिए 1254 करोड़ रुपए की राशि आरक्षित की है। इसके पहले चरण में इन राज्यों को 726 करोड़ रुपए जारी भी किए गए है।
इनमें से मप्र को भी करीब 16 करोड़ रुपए दिए गए है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह राशि जारी करते हुए राज्य सरकारों से जल्द ही फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में पानी के नए स्रोत को खोजने और इसके ट्रीटमेंट के लिए काम शुरु करने को कहा है। बता दें कि वित्त मंत्रालय ने यह राशि नीति आयोग की सिफारिश के बाद जारी की है।
इन राज्यों में अभियान
केंद्र ने देश के जिन 15 राज्यों को स्वच्छ पानी के पानी मुहैया कराने के अभियान में शामिल किया है,उनमें मध्य प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल है।
मप्र के 27 जिले है फ्लोराइड युक्त पानी से प्रभावित
एक रिपोर्ट के मुताबिक मप्र के 27 जिलों में पीने के पानी में फ्लोराइड का मात्रा जरूरत से ज्यादा मिलती है। इनमें से धार और झाबुआ जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसके अलावा भिंड, ग्वालियर, छतरपुर, सिवनी, छिंदवाडा, गुना, जबलपुर, दतिया, देवास, खरगोन, मंदसौर और राजगढ़ जिले के तमाम इलाके भी प्रभावित है। आंकडों के मुताबिक मप्र की करीब सात हजार बसाहटों में पीने के पानी में फ्लोराइड ज्यादा मात्रा में मिलता है।
क्या होता है फ्लोराइड ज्यादा मिलने से
पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा यदि 1 या 1.5 मिलीग्राम से ज्यादा मिलती है, तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक होती है। इससे लोगों के शरीर में तमाम तरह की विकृतियां पैदा हो जाती है। यानि हाथ-पैर टेढे-मेढे हो जाते हैं। दांतों में भी कुछ दिनों के बाद खराबी आ जाती है।