सरस्वती लुप्त हो चुकी है, उसकी खोज चल रही है; गंगा मैली हो गई है, उसकी सफाई के प्रयास हो रहे हैं; यमुना सूख रही है, उसे बचाने की जरूरत है। हथनीकुंड बैराज इन दिनों पानी की कमी के चलते वीरान है। अभी सालभर में मात्र नौ माह ही यमुना में पानी रहता है। बाकी दिनों मेें त्योहार व पर्व पर इसमें स्नान करने तक के लिये जल नहीं होता। चिंता की बात यह भी है कि यमुना का पानी इन दिनों इतना विषैला हो चुका है कि प्रदेश सरकार ने एडवाइजरी जारी कर किसानों को इस पानी से फसलों की सिंचाई न करने की सलाह दी है। यमुना इन दिनों दिल्ली के लिए करीब 350 क्यूसिक पानी दे रही है। सर्दियों में यह हाल है तो पानी के मामले में आने वाले दिन दिल्ली और यूपी के लिए भारी हो सकते हैं। हरियाणा की ही प्यास नहीं बुझेगी तो यमुना से दिल्ली को पानी कहां से दिया जाएगा। पश्चिम यमुना नहर के लिए भी पानी की जरूरत है। इसी नहर से हरियाणा के कई जिलों को पानी दिया जाता है। ऐसे में हथनीकुंड बैराज से दिल्ली के लिए यमुना के पानी में कटौती हो गई है और उत्तर प्रदेश के लिए पानी के शटर डाउन हो गए हैैं।
हरियाणा सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर विनोद काम्बोज का कहना है कि समस्या जुलाई तक ऐसे ही रहेगी क्योंकि पहाड़ों पर बर्फबारी के चलते नदियों में पानी नहीं आ रहा।
किसानों को परेशानी : हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारें परेशान हैं। खेती के लिए यमुना पर निर्भर कर्मदास, हरपाल, बाबूराम और संजू का कहना है कि उनकी फसलें यमुना में पानी न होने से प्रभावित हो रही है।
दिल्ली में होती है नदी मैली : हरियाणा प्रदूषण विभाग के रीजनल ऑफिसर संजीव कुमार कहते हैं कि जब यमुना दिल्ली से होकर हरियाणा में आती है तो उसमें प्रदूषण बढ़ जाता है। दिल्ली के नालों और उद्योगों का पानी नदी में गिरता है।
क्यों सूख रही यह नदी
पर्यावरण विशेषज्ञ डाॅ. जेएस सोढी और डाॅ. अमरजीत का कहना है कि जंगलों की कटाई और औद्योगीकरण के चलते पर्याप्त मात्रा में वर्षा और बर्फबारी नहीं होती। इसी से यमुना के जल स्तर में लगातार कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि हमें पेड़ बचाने चाहिये।
किसको कितना पानी
12 मई 1994 को यमुना के पानी के बंटवारे पर हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को साल में 5.73 बिलियन क्यूबिक मीटर, दिल्ली को 0.724, राजस्थान को 1.119, हिमाचल को 0.378 और उत्तर प्रदेश को 4 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी देने का प्रावधान है। यमुना में पानी की उपलब्धता के अनुसार इसी मापदंड से पानी का बंटवारा होता है।
दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों में गहराया पानी का संकट
नयी दिल्ली (ट्रिन्यू) : यमुना में अमोनिया की तय मात्रा बढ़ जाने के बाद दिल्ली जल बोर्ड के दो संयंत्रों में जलशोधन का काम प्रभावित हो गया है। इसकी वजह से नयी दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों में पानी की आपूर्ति में फर्कपड़ गया है। दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि इस मामले में पड़ोसी हरियाणा से बातचीत की जा रही है। जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि अभी कुछ ही समय पहले यमुना में अमोनिया की मात्रा अधिक पाये जाने के बाद दोनों जल संयंत्रों को बंद कर देना पड़ा था। उन्होंने बताया कि इसकी वजह से जल शोधन का काम प्रभावित है और राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, निर्माण भवन, सुंदर नगर, लोदी रोड, विज्ञान भवन, कनॉट प्लेस, जनपथ, रकाबगंज, नार्थ एवेन्यू में पेयजल आपूर्ति प्रभावित रही।