कभी ट्रेन में मांगते थे भीख आज अनाथों के नाथ एलेक्स

पाकुड़: दूसरों की पीड़ा को खुद में महसूस करने की भावना आसानी से नहीं आती और अगर आ जाये तो आदमी महान बन जाता है. पाकुड़ के एलेक्स साम की दास्तां और उपलब्धि इस बात का प्रमाण है. एलेक्स बचपन से अनाथ हैं. उसने अपना बचपन ट्रेन में भीख मांगते हुए, लोगों की उपेक्षा और भूख की मार सहते गुजारा, लेकिन अब तक वह 46 यतीम बच्चों की अंधेरी दुनिया को रोशन कर चुका है.

 

पत्नी सुनीता मरांडी के साथ जनवरी 2008 से पाकुड़ में एलेक्स एर्वट मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से वह यह काम लगातार कर रहा है. 34 बच्चों को तो उसने परिवार दिलाने का काम भी किया है. बहरहाल वे 12 अनाथ बच्चों का न सिर्फ लालन-पालन कर रहा है, बल्कि उसे पढ़ा-लिखा भी रहा है. इस पुनीत काम में उसकी पत्नी भी बढ़-चढ़कर सहयोग कर रही है. 
ट्रेन में भीख मांगते बीता बचपन : एलेक्स को अपने माता-पिता का नाम तक पता नहीं. वे कहते हैं कि राजस्थान के कोटा में एमानुएल चाईल्ड होम में लालन-पालन हुआ. 11 साल की उम्र में वहां से वे भाग कर मुंबई चले गये. जहां 6 साल तक मुंबई स्टेशन से गुजरने वाली विभिन्न ट्रेनों में झाड़ू लगा कर व भीख मांगकर पेट भरा. बड़े बच्चे मारपीट करते थे. कमाया हुआ पैसा व झाड़ू आदि छीन लेते थे. ऐसी स्थिति में मैं अपने अंगवस्त्र से ही ट्रेन की साफ-सफाई करने लगता था. यात्रियों को दया आती थी और कुछ अधिक पैसा उन्हें मिल जाता था. कुछ दिनों तक साथियों के साथ मिल कर मुंबई, दादर स्टेशन आदि स्थानों पर घूम-घूम कर बड़ा पाव बेचने व खोमचा लगाया.
कोटा के शिक्षक ने बदल दी जिंदगी : इस बीच राजस्थान के कोटा के एमानुएल चाईल्ड होम में कार्यरत एक शिक्षक से मुलाकात हुई और उनके कहने पर फिर कोटा चला गया. यहीं रहकर बैचलर ऑफ थियोलॉजी की पढ़ाई पूरी की. बाद में उसी संस्था में अनाथ बच्चों के लिए काम करने लगा. इसी दौरान उपरोक्त संस्था में ही पली-बढ़ी सुनीता मरांडी से शादी कर ली. 2008 में पाकुड़ आ गया और अनाथों को उनका परिवार दिलाने को ही जीवन का लक्ष्य बना लिया. 
एलेक्स का सपना कोई न रहे बेगाना 
एलेक्स का कहना है कि वह ऐसा भारत का सपना देखता है जिसमें कोई अनाथ न हो. हर बच्चा अपने बचपन को सम्मान के साथ जीये. एलेक्स कहते हैं, दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ यदि कोई काम करें तो मंजिल जरूर मिलती है. यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया में 153 मिलियन अनाथ हैं. अगर दुनिया भर के लोग एक-एक अनाथ बच्चों को गोद ले लें तो पूरा विश्व अनाथ मुक्त हो जायेगा. 
नहीं चाहते सरकारी इमदाद 
एलेक्स का मानना है कि हर व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी होती है. सरकार तो अपना काम कर रही है. परंतु सभी को ईमानदारीपूर्वक अपना कर्त्तव्य करना चाहिए. सरकार नेकई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रखी हैं, परंतु उसका लाभ उठाने के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने में जो समय बर्बाद होता है उसे गंवाये बिना हम संस्था को आम लोगों के सहयोग से दुरूस्त करना चाहते हैं. संस्था में पल-बढ़ रहे अनाथ बच्चों के खर्च उठाने के लिए उन्होंने अलग से होस्टल व कोचिंग की व्यवस्था की है.

 

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