श्योपुर। भवन या सड़क निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता ठीक है या नहीं? इसकी जांच अब ठेकेदार ही करेंगे, उसके बाद निर्माण कार्य करेंगे। दरअसल सरकार की एक नई व्यवस्था ने ठेकेदारों को यह सहूलियत दे दी है।
50 लाख से अधिक के निर्माण कार्यों के लिए साइट (यानी निर्माण स्थल) पर ही ठेकेदारों को लैब बनानी होगी। इस लैब में वह निजी उपकरणों व तकनीक स्टाफ से मटेरियल की जांच कराएंगे। इस फैसले से निर्माण कार्यों की मजबूती पर क्या असर होगा? इसका पता नही। ठेकेदारों को जमकर सहूलियत हो गई है। ठेकेदारों को अब मटेरियल टेस्टिंग के लिए ग्वालियर या अन्य शहरों में नहीं जाना होगा। ठेकेदारों को फायदा यहां तक है कि वह मानकों से कुछ कम गुणवत्ता वाले मटेरियल को भी निजी लैब में पास कर उसका उपयोग कर सकते हैं।
हर छह महीने में मिलेगा केलिबे्रशन सर्टिफिकेट
ठेकेदारों की निजी लैब में रखी मशीनरी व अन्य उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं? इसकी जांच हर छह महीने में की जाएगी। पीडब्ल्यूडी, पीआईयू जैसे तकनीक विभाग सरकारी लैब के अधिकारियों व तकनीक अमले से ठेकेदारों की लैब की जांच कराएंगे। हर 6 माह में होगी जांच। जांच के बाद केलिब्रेशन सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इस सर्टिफिकेट के बाद ही ठेकेदार की लैब को मान्यता दी जाएगी।
श्योपुर में ठेकेदार लैब बनाते ही नहीं
जिले में 50 लाख की लागत से ज्यादा वाले 10 से ज्यादा काम चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश काम पीआईयू विभाग की देखरेख में हो रहे हैं। एक भी ठेकेदार ने अब तक लैब नहीं बनाई। पीआईयू के अधीक्षण यंत्री विपिन सोनकर का इस मामले में तर्क है कि, अभी तक उन्हें ऐसा कोई आदेश मिला नहीं कि ठेकेदारों से साइट पर ही लैब बनवाओ। इसके इतर पीडब्ल्यूडी के ईई किशन वर्मा मान रहे हैं कि ऐसे आदेश आ चुके हैं।
निजी लैबों में यह होंगी जांच
ब्रिक टेस्ट में ईंट की मजबूती की जांच होगी। इस जांच में ईंट के वजन झेलने, उसमें उपयोग मिट्टी और उसके भट्टी में पकने की क्षमता की जांच होगी।
रेत की गुणवत्ता जांच के लिए ठेकेदारों की लैब में कई तरह की छलनियां होंगी। इन छलनियों से गुजरकर रेत की क्वालिटी परखेंगे।
क्यूब टेस्ट से कंपे्रसिव स्ट्रेंथ की जांच की जाएगी। इसमें आरसीसी की छत व पिलर की जांच होगी।