1 लीटर तरल खाद, एक एकड़ फसल में बढ़ा देगी 20 फीसदी उत्पादन

पीयूष बाजपेयी, जबलपुर। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए तरह-तरह के नए सीड तैयारे करने वाले कृषि वैज्ञानिकों ने अब तरल खाद तैयार की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 35 साल की रिसर्च के बाद तैयार इस तरल खाद को एक एकड़ क्षेत्र में 1 लीटर डालने पर लगभग 20 फीसदी तक उत्पादन बढ़ जाएगा। यह सभी प्रकार की खेती में उपयोग की जा सकेगी।

यह रिसर्च जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने की है। रिसर्च का काम पूरा हो चुका है। इसे पेटेंट कराने व अन्य प्रक्रिया कृषि अनुसंधान परिषद और शासन से पूरी होने के बाद अगले खरीब सीजन यानी जून, 2017 तक बाजर में आ जाने का अनुमान है। अभी फसलों को बचाने के लिए जैविक पाउडर वाली खाद का उपयोग किसान कर रहे हैं।

ऐसे शुरू हुआ खाद बनाने का काम

कृषि विवि में वर्ष 1980 में स्व.डॉ जेएन दुबे ने जैविक खाद पर रिसर्च शुरू की थी। उस दौरान उनके छात्र रहे डॉ. एमजी मित्रा उनका सहयोग किया करते थे। तब मात्र 5 लाख रुपए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए दिए गए। उनके छात्र और वर्तमान में कृषि वैज्ञानिक डॉ. मित्रा सहित डॉ. बी सच्चिदानंद, डॉ. एके रावत ने रिसर्च पर लगातार काम किया और 35 साल की मेहनत के बाद तरल खाद का सफल अविष्कार किया।

इस तरह बनाई तरल खाद

– तरल खाद को तैयार करने वाले डॉ. मित्रा के मुताबिक मिट्टी के अलावा दलहनी फसलों सहित अन्य फसलों के पौधों की जड़ों से मिलने वाले जीवाणु और विषाणु के जरिए खाद का निर्माण किया गया।

– इसे वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है। पहले ठोस या पाउडर वाली खाद बनाई गई और उसमें फिर कोशिका सेल यानी पानी (तरल) के रूप में बदला गया। फिर इस घोल में कोशिका सुरक्षा घोल मिलाया जाता है, जिसके बाद ही जैविक खाद अपना काम करती है। यह खाद छह माह तक काम करती है।

सिर्फ इतनी तरल खाद

– किसान तरल खाद से बीज उपचार, मिट्टी उपचार के अलावा फसल उपचार आसानी से कर सकते हैं।

– बीज उपचार के लिए सिर्फ 10 मिलीलीटर तरल खाद एक किलो बीज में लगेगी।

– मिट्टी उपचार मतलब ड्रिप इरीगेशन, स्िप्रकलर के जरिए एक लीटर तरल खाद एक एकड़ में डाली जा सकती है। एक एकड़ के लिए बमुश्किल किसानों को 500 से 600 लीटर पानी में ये खाद मिलानी होगी।

– इस खाद के जरिए रोपाई वाली फसलों को सीधे ड्रिप या स्िप्रकलर के जरिए छिड़काव किया जा सकता है।

– इसी तरल खाद के साथ किसान कीटबाधी से बचाव के लिए कृषि विवि से जाकर ट्राइकोडरमा और सिडामोनास जैविक खाद भी ले सकते हैं। इससे उनकी फसल का उत्पादन 20 फीसदी तक बढ़ जाएगा।

किसानों को रासायनिक खाद से छुटकारा दिलाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ये तरल खाद बहुत फायदा देगी। ये खाद विवि और कृषि विज्ञान केंद्रों से आसानी से खाद मिलेगी।

-डॉ. एमजी मित्रा, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विवि जबलपुर

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तरल खाद अगले साल से मिलने लगेगी। वहीं किसानों को दूसरी तरह की जैविक कीटनाशक खादों का उपयोग भी करने लगे हैं। आज प्रदेश के अलावा गोवा, महाराष्ट्र के किसान बड़ीमात्रा में खाद की डिमांड कर रहे हैं। सालाना सवा करोड़ की जैविक खाद बेची जाने लगी हैं।

डॉ. बी सच्चिदानंद, प्रिंसिपल वैज्ञानिक एवं प्रोडक्शन प्रमुख, कृषि विवि

 

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