ग्लोबल वार्मिंग से बदल सकता है धरती का आकार

टोरंटो। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ समुद्री तापमान वृद्धि और मौसम की अनियमितता ही नहीं बल्कि धरती के आकार में बदलाव का भी कारण बन सकता है।

पांच वर्षों के अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने पेटागोनिया और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के ग्लेशियरों की तुलना की। अध्ययन में पाया गया कि अंटार्कटिक की तुलना में अपेक्षाकृत गर्म पेटागोनिया के ग्लेशियर तेजी से खिसके हैं। ज्यादा तापमान के कारण ग्लेशियर का आधार पिघलने से इनमें कटाव भी 100 से 1000 गुना तेजी से हुआ।

शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की सहायक प्रोफेसर मिशेल कोप्पस ने कहा, "अंटार्कटिक गर्म हो रहा है और जैसे-जैसे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ेगा, यहां के ग्लेशियर भी तेजी से पिघलने शुरू हो जाएंगे।" तेजी से खिसक रहे ग्लेशियर महाद्वीपीय समतल पर अधिक गाद इकट्ठा कर देते हैं। इसका मत्स्य पालन, बांधों और पर्वतीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

इस अध्ययन से ग्लेशियरों के खिसकने और धरती के आकार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर वैज्ञानिक बहस को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। इस अध्ययन का प्रकाशन नेचर पत्रिका में हुआ है।

 

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