जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस निशा गुप्ता शुक्रवार दोपहर पौने तीन बजे रिटायर हो जाएंगी। इसके साथ ही राजस्थान भी उन हाईकोर्ट की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां जजों की मौजूदा स्ट्रेंथ 50% या उससे कम है। राजस्थान हाईकोर्ट में 50 की स्ट्रेंथ पर 25 जज रह जाएंगे। देश के कई हाईकोर्ट में भी ऐसे ही हालात हैं। दरअसल, 12 अप्रैल को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अस्तित्व में आया। जजों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक आयोग के पास गया।
मामला संविधान पीठ में है। ऐसे में नियुक्तियां और ट्रांसफर नहीं हो पा रहे। एप्रूव्ड स्ट्रैंड के हिसाब से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 59 फीसदी, इलाहाबाद हाईकोर्ट में 53 फीसदी और कर्नाटक हाईकोर्ट में 50 फीसदी तक की कमी है। कुल मिलाकर उत्तर-पूर्व के तीन ही ऐसे राज्य हैं, जहां जजों की कमी का कोई इश्यू नहीं है। बाकी 21 हाईकोर्ट्स में जज पूरे नहीं है। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के पांच माह बाद भी अस्तित्व में नहीं आने से देश भर का न्यायिक तंत्र गड़बड़ा गया है। देश की 24 हाईकोर्ट में 392 जजों यानी 38 फीसदी तक की कमी हो गई है।
7 हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस
राजस्थान, गुजरात, पटना, पंजाब एंड हरियाणा, कर्नाटक, गुवाहाटी, हैदराबाद।
इन हाईकोर्ट में भी हालात गड़बड़ाए
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की एक सितंबर, 2015 को जारी ताजा जानकारी के अनुसार देश भर के 24 हाईकोर्ट में एप्रूव्ड स्ट्रेंथ 1017 जजों की है और इनमें मौजूदा स्ट्रेंथ 625 ही रह गई है। यानी सीधे तौर पर 392 हाईकोर्ट में जजों की कमी है।