स्टील निर्माताओं का कहना है कि भारत में आयात होने वाली चीन की हिस्सेदारी 30 फीसदी से ज्यादा है। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने के बाद चीन से आयात होने वाला स्टील घरेलू स्टील से सस्ता होगा। इस समय इंडस्ट्री करीब 25 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी की मांग कर रही है। पिछले दिनों वित्त मंत्रालय ने लांग स्टील की इंपोर्ट 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी है। वहीं फ्लैट स्टील की इंपोर्ट ड्यूटी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी और स्टेनलेस स्टील पर ड्यूटी को 7.5 फीसदी कर दिया है।
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सुराना का कहना है कि इंडस्ट्री अभी इंपोर्ट में 20 से 25 फीसदी की मांग कर रही है। फ्लैट प्रोडक्ट्स में ड्यूटी बढ़ाने से मार्जिन 2.5 फीसदी का फर्क पड़ेगा। कीमतों में इससे 600 रुपए प्रति टन तक का फर्क पड़ेगा। इससे इंडस्ट्री को कोई विशेष फायदा नहीं होगा।
आयातीत स्टील 1500 रुपए सस्ता है
उद्योगपतियों का कहना है कि भारतीय स्टील के मुकाबले आयातीत स्टील 1500 रुपए सस्ता है। युआन में गिरावट से कीमतों में अंतर 2300 रुपए से अधिक का बढ़ जाएगा। इसके साथ ही इंपोर्ट में 2.5 फीसदी की वृद्धि से दाम में 500 से 600 रुपए प्रति टन का अंतर आ सकता है। ऐसे में ड्यूटी बढ़ाने के बाद भी इंडस्ट्री खतरे में है।
सस्ते आयात से कमजोर हुई स्टील इंडस्ट्री
उद्योगपतियों का कहना है कि भारतीय स्टील उद्योग अब चीन के निशाने पर है। चीन से आयातित राउंड और टीएमटी स्टील महज 350 से 380 डॉलर में उपलब्ध है। जिस पर कस्टम ड्यूटी और दूसरे खर्च जोड़ने पर भी कीमत में 28 से 30 रुपए प्रति किलो बैठती है। जबकि स्टील इंडस्ट्री को ही इंगट इस दाम में मिलता है।