हाल के महीनों में बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद होने के कारण 8 साल के बड़े अंतराल के बाद गेहूं आयात पर शुल्क व्यवस्था बहाली की गई है। पिछले हफ्ते खबर आई थी कि गेहूं के आयात पर शुल्क लगाने के फैसले से पहले कृषि एवं खाद्य मंत्रालय, व्यापार मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने एक बैठक की थी। इसमें चर्चा की गई थी कि देश में गेहूं का विशाल भंडार है। ऐसे में इसके आयात पर लगाम लगाने के कौन-कौन से तरीके अपनाए जा सकते हैं।
इस साल जून में निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया से 5 लाख टन हाई-प्रोटीन गेहूं आयात के सौदे किए थे। यह पिछले एक दशक से ज्यादा समय का सबसे बड़ा आयात सौदा (गेहूं का) है। इसके बाद सरकार की आलोचना होने लगी। कहा जाने लगा कि किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है।