जटिस्स दीपक मिश्र और पीसी पंत की पीठ के यह बात सख्ती से कही और पुजारी को डांट लगाई जो गंदगी के नाम पर भिखारियों को मंदिर से बाहर फेंकने की बात कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि यह शब्द कभी जबान पर भी मत लाना इस शब्द से हमें नफरत है।
हम जानते हैं कि भिखारियों में कितना अनुशासन होता है और यह अनुशासन हम कालकाजी मंदिर में भी स्थापित करेंगे। कोर्ट ने कहा कि मंदिर में अनुशासन, सफाई, सुंदरता और पवित्रता बनाए रखने के लिए हमने मामला अपने हाथ में लिया है। इसमें सभी पक्षों का ध्यान रखा जाएगा। चाहे वह जोगी हो या पुजारी या फिर दुकानदार या भिखारी।
कोर्ट ने कहा कि कालकाजी मंदिर एक मठ है जिसके साथ मंदिर जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने इस पर भी सवाल उठाया कि पुजारी रोटेशन के हिसाब से दुकानों से किराया कैसे वसूल रहे हैं जबकि वह उनकी संपत्ति नहीं है। पूरी संपत्ति मठ और मंदिर की है। मामले की सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
पीठ ने यह बात तब कही जब मंदिर के जोगी सुरेंद्र नाथ अवधूत के वकील डॉ. राजीव धवन ने कहा कि मंदिर पर उनका अधिकार है और कोर्ट में दखल नहीं दे सकता। उन्होंने कोर्ट की कार्ययोजना को जिसे अतिरिक्त सालिसिटर जरनल पीएस नरसिंहा ने तैयार किया है को, कानून बनाने जैसा बताया।
उन्होंने कहा कि कोर्ट मंदिर के प्रबंधन के लिए कानून नहीं बना सकता। योजना में प्रबंधक, जोगी और पुजारियों के हिस्से तथा पूजा करने के रेट तय किए गए हैं। यह कानून बनाने जैसा है जिसका अधिकार कोर्ट को नहीं है। मंदिर जोगियों की निजी संपत्ति है और समय के साथ इसमें पुजारी भी जुड़ गए और औपचारिर पूजा होने लगी।