पंचायत चुनाव: 2011 की जनसंख्या होगी मानक, पंचायत में आरक्षण का बदलेगा आधार

पटना: राज्य निर्वाचन आयोग ने 2016 में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है. नये आरक्षण का मानक अब 2011 की जनसंख्या होगी. इसका मानक 11 मई को अंतिम रूप से निर्धारित कर दिया जायेगा. पंचायती राज अधिनियम के लागू होने के बाद यह द्वितीय निर्वाचन है, जिसमें आरक्षण के प्रावधान को बदलना है. हर दो आम चुनाव के बाद आरक्षण की स्थिति में परिवर्तन किया जाता है.
राज्य में 8402 मुखिया, 8402 सरपंच, 115876 वार्ड सदस्य, 115876 पंच, 11566 पंचायत समिति सदस्य और 1162 जिला पर्षद के सदस्यों के लिए आरक्षण का नये सिरे से प्रावधान किया जा रहा है. इसके लिए हर जिले में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार जनसंख्या का प्रकाशन कर दिया गया है.

इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वर्गो के लोगों की जनसंख्या का प्रकाशन किया गया है. राज्य निर्वाचन आयोग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिलों में प्रकाशित सूची को लेकर सोमवार तक आपत्ति दी जा सकती है. आपत्ति प्राप्त करने के बाद उसका निबटारा कर 11 मई को निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार अंतिम रूप से जनसंख्या का प्रकाशन कर दिया जायेगा. अंतिम प्रकाशन के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला पंचायती राज पदाधिकारियों का 12 मई और 14 मई को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है.

 

महिला सीटों में होगा अहम बदलाव
कोई निर्वाचन क्षेत्र 2011 के चुनाव में किसी कोटि विशेष की महिला के लिए आरक्षित था, तो इस बार के चुनाव में वह सीट दूसरी कोटि की महिला के लिए आरक्षित होगी.
इसी तरह कोई सीट अनारक्षित कोटि की महिला के लिए आरक्षित थी, तो इस चुनाव में वह अनारक्षित कोटि की महिला के लिए आरक्षित नहीं रहेगा.
आरक्षण में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण के बाद शेष सीटों में से कुल सीटों के 20 प्रतिशत पर पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों और इस वर्ग की महिलाओं को आरक्षण दिया जायेगा.
इस बार सीट आरक्षण में एसटी को पहली प्राथमिकता
अब तक हुए पंचायत चुनावों में सीट आरक्षण में पहली प्राथमिकता अनुसूचित जाति वर्ग, फिर अनुसूचित जनजाति वर्ग और उसके बाद अन्य वर्गो को दिया गया था. अब 2016 के पंचायत चुनाव में आरक्षण में पहली वरीयता अनुसूचित जनजाति को मिलेगी, उसके बाद पिछड़ा वर्ग को, उसके बाद अन्य वर्ग को और अंत में अनुसूचित जाति को मिलेगी. 2026 में होनेवाले पंचायत चुनाव में आरक्षण में पहली प्राथमिकता पिछड़ा वर्ग, फिर अन्य वर्ग, उसके बाद अनुसूचित जाति और अंत में अनुसूचित जनजाति.2011 की जनसंख्या के आधार पर छह पदों के लिए अलग-अलग स्तर पर आरक्षण का निर्धारण किया जायेगा. वार्ड सदस्य और पंच में आरक्षण का निर्धारण पंचायत की जनसंख्या के आधार पर होगा. पंचायत की कुल जनसंख्या के आधार पर ही कुल पदों में से आरक्षित किया जायेगा. इसी तरह से प्रखंड स्तर पर प्रखंड की कुल जनसंख्या के आधार पर पंचायत समिति सदस्य, मुखिया और सरपंच पद के लिए आरक्षण का प्रावधान होगा. जिले की कुलजनसंख्या के आधार पर जिला पर्षद के सदस्य के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जायेगा. अंतिम रूप से राज्य की कुल जनसंख्या के आधार पर जिला पर्षद अध्यक्ष के पद का आरक्षण होगा.

 

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