टैबलेट यानी ‘ई-रीडर’ में किताब और कापी दोनों सुविधा होगी। अमेरिका की तरह मांढर स्कूल के बच्चे बगैर बस्ते के केवल टैबलेट लेकर स्कूल जाएंगे। मांढर स्कूल छत्तीसगढ़ का ई-क्लास की सुविधा वाला पहला स्कूल होगा। यह प्रोजेक्ट अमेरिका के शिकागो की कंपनी थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट का है। स्कूल शिक्षा विभाग की अनुमति के बाद यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा।
थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट की टीम जल्द ही मांढर स्कूल का निरीक्षण करेगी। इसके लिए थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट को केंद्र सरकार से अनुमति मिल गई है। वहीं राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से अभी अनुमति मिलना बाकी है। जैसे ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट को अनुमति दी जाएगी, कंपनी की टीम यहां आकर जरूरी सुविधाओं का खाका तैयार कर काम शुरू कर देगी। जरूरी उपकरणों को इंस्टॉल करेगी।
इसके तहत छत्तीसगढ़ बोर्ड की पुस्तकों को स्केन कर ई-रीडर में अपलोड किया जाएगा। दूसरी ओर कक्षाओं में सीसीटीवी से लेकर स्कूल में बिजली आपूर्ति के लिए सोलर पैनल और एक सैटेलाइट सर्वर भी लगाया जाएगा, जिससे स्कूल में चल रही गतिविधियों को कंपनी अमेरिका में बैठकर भी देख सकेगी। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आगामी 16 जून को नए शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले दिन से ही स्कूल के बच्चे किताब-कापी से भरा बस्ता लेकर नहीं, बल्कि ई-रीडर लेकर स्कूल जाएंगे।
पायलेट प्रोजेक्ट के तहत ई-क्लास
कंपनी मांढर स्कूल में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत ई-क्लास शुरू करने जा रही है। प्रोजेक्ट को छठवीं से बारहवीं कक्षा तक लागू किया जाएगा। स्कूल के मिडिल से लेकर हायर सेकंडरी कक्षाओं के सभी बच्चे ई-रीडर से पढ़ाई करेंगे। प्रोजेक्ट के लिए देश में केवल चार स्थानों फरीदपुर, हैदराबाद, सिरसागंज और रायपुर जिले के एक-एक सरकारी स्कूलों को चुना गया है।
इस तरह होगी पढ़ाई
सभी बच्चों को टैबलेट की तरह ई-रीडर दिया जाएगा। इसमें पुस्तक और कापी दोनों सुविधा होगी। कक्षा में 60 इंच का एक प्रोजेक्टर लगा होगा। शिक्षक बच्चों को प्रोजेक्टर पर ही पढ़ाएंगे। ई-रीडर के दो हिस्से में से बायीं ओर किताब और दायीं ओर कापी होगी। कक्षा में जो भी पढ़ाया जा रहा होगा, उसे बच्चे मार्क पेन के जरिए कापी में नोट कर सकेंगे।
मार्क पेन उसी तरह का होगा, जैसा मोबाइल फोन के नोट पैड में लिखने के लिए मिलता है। ई-रीडर के तीन पासवर्ड में एक बच्चे के पास, दूसरा पालक तथा तीसरा स्कूल प्रबंधन के पास होगा। बच्चा क्या पढ़ रहा है? क्यों नहीं पढ़ रहा है? उसकी निगरानी भी हो सकेगी। बच्चे ई-रीडर को अपने घर, खेल के मैदान में भी ले जा सकेंगे। इसमें सोशल साइट्स फेसबुक, वॉट्स एप, ट्वीटर सहित ई-मेल आदि की सुविधा नहीं होगी।
मांढर स्कूल का चयन इसलिए
प्रोजेक्ट के लिए मांढर स्कूल का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि कंपनी की ब्लागर नंदिता सायम रायपुर देवेंद्र नगर की रहने वाली हैं। वे वर्तमानमें शिकागो में रहकर कंपनी के लिए काम कर रही हैं। मांढर स्कूल की प्राचार्य श्रीमती सरिता नासरे से उनकी पुरानी पहचान है। भारत में इस प्रोजेक्ट को लागू करने के मुद्दे पर कंपनी में चर्चा हुई तो नंदिता ने श्रीमती नासरे से संपर्क किया। श्रीमती नासरे ने शिक्षा विभाग से अनुमति मांगी। विभाग से अनुमति मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट को यहां लगाना तय हुआ।
पूरा सेटअप थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट
इस प्रोजेक्ट में पूरा सेटअप थ्री-बीआई कॉन्सेप्ट का रहेगा। इसमें स्कूल को केवल बिजली सहित बेसिक सुविधा उपलब्ध करानी होगी। टेक्नोलॉजी के युग में हमारे स्कूल के बच्चे भी अब पीछे नहीं रहेंगे। किताब-कापी के बोझ से छुटकारा मिल जाएगा।
– श्रीमती सरिता नासरे प्राचार्य, शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल मांढर , रायपुर
इसमें यह देखना पड़ेगा कि जिस प्रोजेक्ट की बात की जा रही है, वह कितने वर्षों के लिए है। पूरी फाइल देखकर ही कुछ कह पाऊंगा।
– सुब्रत साहू सचिव, स्कूल शिक्षा