राजन ने सारी घरेलू बचतों को वित्तीय प्रणाली में लाने का पक्ष लिया है ताकि वृद्धि के लिए जरुरी वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकें. राजन यहां बैंकों व वित्तीय संस्थान प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञान संगम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘अल्पकालिक समयावधि (12 महीने तक में) एनपीए को साफ करने तथा उसके बाद दूसरे दबाव वाले कर्ज के पुनर्गठन की जरुरत है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके.’सार्वजनिक बैंकों की कुल फंसे कर्ज यानी गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सितंबर 2014 आखिर में 2.43 लाख करोड रूपये से अधिक थी. शीर्ष 30 एनपीए खाते 87,368 करोड रूपये या सार्वजनिक बैंकों के कुल एनपीए के 35.9 प्रतिशत के बराबर है.
राजन ने कहा कि बैंकरों द्वारा ईमानदारी से लिए गए वाणिज्यिक फैसलों में अगर कोई गलती होती है तो सरकार को उनका बचाव करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘अगर इस तरह के फैसलों के लिए अधिकारियों की खिंचाई की जाती है तो जोखिम से बचने के लिए अच्छे फैसलों में देरी होगी.’राजन ने मौजूदा वैश्विक हालात में बैंकिंग प्रणाली के अंतरराष्ट्रीयकरण की जरुरत भी जताई.