वर्ष 2005 में स्थापित की गई दिल्ली पुलिस की आरटीआई सेल को पिछले पांच वर्षों में एक लाख 52 हजार 600 आवेदन मिले हैं। पिछले साल सितंबर तक 15 हजार 803 आरटीआई आवेदन और वर्ष 2013 में 30 हजार से अधिक आवेदन मिले थे। दिल्ली पुलिस को वर्ष 2010 में 44 हजार 930, वर्ष 2011 में 34 हजार 384 और वर्ष 2012 में 37 हजार 301 आरटीआई के आवेदन मिले हैं।
सेल में काम करने वाले अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश सवाल बेतुके और बिना किसी सर पैर के पूछे गए हैं। दिल्ली पुलिस की आरटीआई सेल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि किसी व्यक्ित के लिए या समाज के लिए यह वास्तव में बेहद उपयोगी टूल है। मगर, कई लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। कुछ लोग लगातार आरटीआई का आवेदन करते रहे हैं और वे अक्सर ऐसे सवाल पूछते हैं, जिनका हमारे विभाग या दूसरे विभाग से कोई लेना-देना ही नहीं होता है।
अधिकारी ने बताया कि एक आवेदक ने जानकारी मांगी कि एक खास जिले में पुलिस के जवानों ने कितने कप चाय पी। अब इस तरह की जानकारी नहीं निकाली जा सकती है। एक आवेदक ने जानकारी मांगी कि दिल्ली में कितनी बैलगाडि़यां हैं और वे किन रास्तों पर चलती हैं।
हिंदी और अंग्रेजी के अलावा मराठी और बंगाली भाषा में भी आरटीआई के आवेदन मिले हैं। सूचना का अधिकार कानून वर्ष 2002 में लागू हुआ था। 10 रुपए के शुल्क पर लोग विभाग से जुड़ा सवाल अधिकारियों से सवाल पूछ सकते हैं, जिसका जवाब 30 दिन में देना होता है। दिल्ली पुलिस की आरटीआई सेल में आवेदनों को संबंधित पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाने और उसका जवाब देने के लिए 12 लोगों का स्टाफ लगा हुआ है।