लोगों को उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में तो भारत की स्थिति बेहद दयनीय है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा वैश्विक रिपोर्ट में केवल एक बात भारत को राहत पहुंचाती है और वह है लोगों का राजनीतिक सशक्तीकरण। इस मामले में भारत की स्थिति बहुत बेहतर है।
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 142 देशों में पुरुषों के मुकाबले कामकाजी महिलाओं के अनुपात के मामले में भारत 114वें स्थान पर है। इस सूची में फिलीपींस जैसा छोटा देश एशिया में पहले स्थान पर है, जबकि पड़ोसी चीन भारत से बहुत आगे 18वें स्थान पर है। भारत उन कुछ देशों की सूची में है जहां कामकाजी महिलाओं की संख्या तेजी से कम हो रही है। शायद यही वजह है कि पिछले साल 101वें स्थान पर रहने वाला भारत इस साल सूची में और नीचे खिसक गया।
इसकी एक वजह जन्म के समय लड़के-लड़कियों के अनुपात का बढ़ता अंतर भी है। यह दर्शाता है कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के तमाम उपायों के बावजूद देश में अब भी स्थितियां सुधरी नहीं है। पिछले दिनों ही हरियाणा में एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लड़कों के मुकाबले लड़कियों की कम संख्या पर चिंता जताई थी। हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या के मामले सबसे अधिक पाए जाते हैं।
राजनीतिक सशक्तीकरण में आगे
रिपोर्ट एक मामले में भारत को बड़ी राहत देती है। इसके मुताबिक लोगों के राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भारत का स्थान काफी ऊपर है। 142 देशों में भारत 15वें स्थान है। हालांकि संसद में महिलाओं की संख्या और महिला मंत्रियों के मामले में अब भी भारत कई देशों से काफी पीछे है। लेकिन, जनता को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के मामले में उसने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।
बदरंग तस्वीर (विभिन्न मामलों में 142 देशों में स्थान)
पुरुषों के मुकाबले कामकाजी महिलाओं का अनुपात – 114वां स्थान
जन्म के वक्त लड़के-लड़कियों का अनुपात – 139वां स्थान
अर्थव्यवस्था में भागीदारी व उपलब्ध अवसर – 134वां स्थान
स्वास्थ्य एवं औसत आयु – 141वां स्थान
शिक्षा – 126वां स्थान