खाद्य सुरक्षा कानून के लागू हो जाने से पहले सरकार राशन प्रणाली को दुरुस्त कर लेना चाहती है। एफसीआई की स्थापना खाद्यान्न की खरीद, भंडारण और वितरण के उद्देश्य से की गई थी। ढुलाई और वितरण में भारी मात्रा में अनाज का नुकसान होता है। इसे रोकने में नाकाम रहने पर एफसीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं। खाद्य मंत्रालय इसकी भूमिका को सीमित करके वैकल्पिक उपाय तलाशने की कोशिश करता रहा है।
प्रस्तावित उच्चस्तरीय कमेटी ढुलाई और वितरण के दौरान अनाज की होने वाली चोरी और नुकसान को रोकने की समस्या पर भी अपना सुझाव देगी। खाद्यान्न का सबसे ज्यादा नुकसान एफसीआई के गोदामों से लेकर राशन की दुकान तक अनाज की ढुलाई के दौरान होता है। उच्चस्तरीय समिति को ठेका श्रमिकों के मामले पर भी विचार करने को कहा जाएगा, जिसके चलते आए दिन एफसीआई को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन सब से निपटने को अनाज खरीद, ढुलाई व वितरण की अलग-अलग कंपनियां बनाने की बात कही गई है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष 2014-15 के आम बजट में एफसीआई के पुनर्गठन को उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र गिनाया था। उन्होंने कहा था कि खाद्य क्षेत्र के सुधार के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। एफसीआई के पुनर्गठन, ढुलाई, वितरण में होने वाले नुकसान को रोकना और राशन प्रणाली को मजबूत बनाना सरकार की उच्च प्राथमिकता होगी। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एफसीआई को बदलने की वकालत करते हुए कहा था कि इससे जहां संस्था की कार्य क्षमता बढ़ जाएगी, वहीं खाद्य वस्तुओं की कीमतों को थामने में सहूलियत मिलेगी।