अब अच्छी बारिश से भी नहीं सुधरेगी खरीफ फसलों की बुआई, पैदावार घटना तय- धर्मेन्द्र चौधरी

मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि मानसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चली हैं और अगले 2 से 3 दिनों में इसका विस्तार पूरे देश में होगा। मानसून की यह बौछार गर्मी से परेशान लोगों के लिए राहत की खबर भले हो लेकिन चावल की बुआई के लिए इंतजार कर रहे किसान अब इसकी अहमियत को कम आंक रहे हैं। बाजार के विशेषज्ञ भी इसी के चलते उत्पादन में कमी होने के दावे ठोक रहे हैं।

किधर से बना रहा मानसून अपना रास्ता
पश्चिम और उत्तर भारत में मॉनसून अब धीरे-धीरे सक्रिय होने लगा है। पूरे महाराष्ट्र के अलावा दक्षिण भारत, पूर्वी भारत और उत्तर भारत में पहुंचने के बाद अब मॉनसून गुजरात और राजस्थान की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून आगले दो-तीन दिन में पूरे देश में अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकता है।

कमजोर मानसून मतलब उत्पादन कम
देश में अब तक सामान्य के मुकाबले 60 फीसदी से भी कम बारिश हुई है और इस वजह से सूखे की आशंका लगातार परेशानी का सबब बनी हुई है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बारिश में एक हफ्ते की देरी और हुई तो इस बार देश में अनाज की पैदावार में लगभग 3 करोड़ टन तक की गिरावट देखने की उम्मीद है।

20 तक नही हुई पूरे देश में बारिश तो पड़ेगा सूखा
अगले एक हफ्ते में अगर बारिश नहीं हुई तो देश में सूखा पड़ना तय है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक जुलाई 10-20 मानसून के लिहाज से अहम है। अगर इसके बीच अच्छी बारिश नहीं हुई तो देश में सूखा पड़ सकता है। इसमें से भी 5 दिन सूखे की भेट चढ़ गई है। अब खरीफ फसलों की बुआई के लिए 5-7 दिन का समय ही अनुकूल बचा है। दरअसल खरीफ फसलों की बुआई का सीजन जून के मध्य से शुरू होकर जुलाई अंत तक चलता है। लेकिन 15 जुलाई तक ज्यादातर फसलों की बुआई हो जाती है। ऐसे में 20 जुलाई के बाद होने वाली बारिश का कोई फायदा नहीं होगा।

मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात,कच्छ, महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में यह बुआई का आखरी समय होता है। इन राज्यों में गन्ना, कपास, चावल, ग्वार, सोयाबीन और दालों की खेती होती है। जुलाई के पहने हफ्ते में बारिश नहीं हुई तो इन इलाको में बुआई पिछड़ जाएगी और उत्पादन घटेगा जिससे कीमतों में उछाल आ सकता है।


सूखे का सबसे ज्यादा असर

महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के किसानों पर कमजोर मॉनसून का असर सबसे ज्यादा पड़ सकता है। जिससे धान, दालें, मोटे अनाज, तिलहन और गन्ना जैसी खरीफ फसलों की बुआई पिछले साल के मुकाबले करीब आधी ही हो पाई है।

49 फीसदी घटा खरीफ फसलों का रकबा

कमजोर मानसून से खरीफ फसलों की बुआई लगातार घट रही है। कृषि मंत्रालय के ताजे आंकड़ों के मुताबिक 10 जुलाई तक पूरे देश में खरीफ फसलों की बुआई 256.6 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई। जो कि पिछले साल के मुकाबले 49 फीसदी कम है। पिछले साल इस समय तक में 502.2 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई थी।गुरुवार तक देश के किसानों ने 86.4 लाख हेक्टेयर में चावल की हुआई की, जो कि पिछले साल के मुकाबले 17.6 कम है। कमजोर मानसून की मार सबसे ज्यादा सोयाबीन के फसलों पर पड़ी है। सोयाबीन की बुआई में रिकॉर्ड 90.6 फीसदी की गिरावट आई है। पूरे देश में सोयाबीन की बुआई 786,000 हेक्टेयर में ही हो पाई है। वहीं दाल के रकबे में भी जोरदार गिरावट दखने को मिली है। पिछले साल के 43.2 लाख के मुकाबले 13.5 लाख हेक्टेयर में हुई बुआई हुई है।

क्या है मौसम विभाग के ताजे आंकड़े

1 जून से 14 जुलाई तक पूरे देश में 170.4 मिमी बारिश हुई है जो कि मासान्य से 41 फीसदी कम है। हालांकि 14 जुलाई को देश में सामान्य से 4 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। सोमावार को पूरे देश में 9.9 मिमी बारिश हुई है। वहीं रविवार को सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई थी। सोमवार को 4 में 2 रिजन में सामान्य से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। मध्य भारत में सामान्य से 18 फीसदी ज्यादा और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से 77 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। वहीं नॉर्थवेस्ट में 31 फीसदी और पूर्व और उत्तर पूर्व में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश रही। दक्षिण कर्नाटक में सबसे ज्यादा सामान्य से 172 फीसदी बारिश दर्ज की गई।

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