नई दिल्ली. पेयजल संकट से परेशान दिल्ली की एक बड़ी आबादी को राहत देने के लिए लगभग 520 करोड़ रुपए की लागत से दो साल पहले मुनक कैनाल का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन आज भी इस कैनाल (नहर) में पानी नहीं आया। कैनाल में पानी आते ही दिल्ली के लगभग 80 एमजीडी क्षमता वाले तीन जल शोधन संयंत्र चालू हो जाएंगे और दिल्ली के लगभग 40 लाख लोगों को राहत मिल जाएगी। गर्मियों के इस मौसम में दिल्ली में व्याप्त जल संकट से निजात पाने और कैनाल में पानी छोड़े जाने की मांग को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है।
उप-राज्यपाल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मुनक कैनाल में पानी छोड़े जाने के लिए हरियाणा सरकार को निर्देश दिया जाए। कैनाल में पानी आने पर दिल्ली में व्याप्त जल संकट में काफी हद तक सुधार हो जाएगा। दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) विजय कुमार का कहना है कि इस मामले पर उप-राज्यपाल अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, ताकि समस्या जल्द से जल्द दूर हो और दिल्ली को पर्याप्त पानी की आपूर्ति हो सके। दिल्ली जल बोर्ड की दलील है कि कैनाल के लिए हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोडऩे की जरूरत नहीं है।
बर्बाद होने वाले पानी का यहां होगा उपयोग : कैनाल के निर्माण से बचत होने वाले लगभग 95 एमजीडी पानी का उपयोग द्वारका जल शोधन संयंत्र (40 एमजीडी), ओखला जल शोधन संयंत्र (20 एमजीडी) और बवाना जल शोधन संयंत्र (20 एमजीडी) में होगा। इन तीनों संयंत्रों के शुरू होने से द्वारका, ओखला, सरिता विहार, उत्तरी दिल्ली के बवाना क्षेत्र में पानी की समस्या दूर हो जाएगी।
परियोजना पर कुल खर्च
लगभग 102 किलोमीटर लंबी कैनाल का निर्माण के लिए हरियाणा और दिल्ली के बीच फरवरी 1990 में समझौता हुआ था और इसका निर्माण लगभग तीन साल में पूरा हो जाना था, लेकिन दुर्भाग्यवश इसका निर्माण कार्य 2003 में शुरू हुआ और वर्ष 2012 में पूरा हुआ। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान इस कैनाल को लेकर दिल्ली सरकार काफी आशान्वित थी।
कैनाल पर खर्च होने वाला शुरूआती अनुमान-315 करोड़ रुपए
कैनाल की निर्माण में देरी होने पर खर्च लागत – 520 करोड़ रुपए
दिल्ली सरकार ने भुगतान किया- लगभग 464 करोड़ रुपए
तीनों संयंत्रों सहित परियोजना पर कुल लागत- लगभग 1900 करोड़ रुपए।
बर्बाद होने वाले पानी के लिए मचा है घमासान
फिलहाल दिल्ली के हैदरपुर जल शोधन संयंत्र को हरियाणा द्वारा लगभग 610 क्यूसेक (329 एमजीडी) पानी छोड़ा जाता है, लेकिन संयंत्र तक पहुंचते-पहुंचते 30 फीसदी कच्चा पानी घटकर 425 क्यूसेक (229 एमजीडी) हो जाता है। अर्थात लगभग 185 क्यूसेक (100 एमजीडी) पानी का नुकसान हो जाता है। नुकसान से बचने के लिए विकल्प के तौर पर पक्की नहर मुनक कैनाल (कैरियर लाइन चैनल) का निर्माण किया गया।
कैनाल के जरिए पानी छोड़े जाने पर बर्बाद हो रहे 95 फीसदी पानी की बचत होगी। लेकिन अब हरियाणा सरकार इस पानी पर भी अपनी हिस्सेदारी मांग रहा है, जबकि दिल्ली सरकार की दलील है कि पूरी परियोजना पर उसने पैसा खर्च किया है।