रेल मंत्रालय ने माल भाड़े में 6.50
फीसदी का इजाफा कर दिया है। इससे जहां एक ओर देसी कोयले के दाम बढ़ने तय
हो गए हैं वहीं विदेशों से आने वाला कोयला पावर प्लांट को सस्ता पड़ने
वाला है। देश में करीब 90 फीसदी कोयला, खनन से पावर प्लांट या अन्य
स्थानों पर लेकर जाने के लिए रेलवे का ही इस्तेमाल होता है। विशेषज्ञों
के मुताबिक, माले भाड़े में बढ़ोतरी करने से आयातित कोयला, देसी कोयले
से सस्ता पड़ेगा।
कितना महंगा होगा देसी कोयला
विशेषज्ञों के मुताबिक, माल भाड़ा 6.50 फीसदी बढ़ने से कोयले के प्रति
किमी, प्रति टन किराया 1.34 रुपए हो जाएगा जबकि पहले यह 1.25 रुपए था।
आसान शब्दों में कहा जाए तो केवल एक टन कोयला उड़ीसा से दिल्ली लेकर आने
पर करीब 1,154 रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे। वहीं, उन्होंने यह भी कहा
कि देसी कोयले से ज्यादा सस्ता विदेशों से आयात किया कोयला सस्ता
होगा।
रेलवे लाइन के लटके प्रोजेक्ट्स से घटा कोयले का उत्पादन
रेलवे लाइनों का काम समय पर पूरा नहीं होने से 60.7 करोड़ टन कोयला
उत्पादन प्रभावित होगा। इसमें से 2015-16 में 1.3 करोड़ टन, टोरी-शिवपुर
के मामले में साल 2016-17 में 1.25 करोड़ टन और झारसुगुडू-बारपल्ली
प्रोजेक्ट में देरी होने से 2 करोड़ टन कोयले का नुकसान होगा। इतना ही
नहीं, अगर भुपदेवपुर-कारिछापर प्रोजेक्ट में देरी होती है तो अकेले कोल
इंडिया को 2015-16 तक 40.96 लाख टन के उत्पादन का नुकसान होगा।
खपत और उत्पादन
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उत्पादन और खपत दोनों मामले में उल्लेखनीय
गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, कोयला खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और इस
मामले में दूसरे स्थान पर रहा। जहां कोयले का उत्पादन 0.1 फीसदी बढ़कर
22.88 करोड़ टन रहा, वहीं खपत 7.6 फीसदी बढ़कर 32.43 करोड़ टन रही।