झारखंड की 39 माइंस पर लग सकता है ताला, सुप्रीम कोर्ट के आदेश – पंकज त्रिपाठी

रांची. लीज होल्ड ग्रांट होने के बाद आयरन ओर के उत्खनन की
अनुमति देने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को राज्य में
लागू किया गया तो सबसे अधिक मुश्किलें स्टील अथोरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के
समक्ष आएगी। कंपनी के पास 12 माइंस हैं, जिनकी लीज अवधि समाप्त हो चुकी है।
27 अन्य बड़ी कंपनियों को भी तत्काल माइनिंग रोकना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने
गत 16 मई को माइनिंग के संबंध में फैसला दिया है कि लीज नवीकरण के लिए
आवेदन देने के आधार पर ही माइनिंग नहीं की जा सकती। लीज का आदेश जारी होने
के बाद ही कोई कंपनी माइनिंग करेगी। इस फैसले के बाद उड़ीसा में ऐसी तमाम
कंपनियों की माइनिंग पर वहां की राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। झारखंड में
भी खनन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर विधि विभाग से इस संबंध
में राय मांगी थी, जिसमें विधि विभाग ने माइनिंग रोकने का सुझाव दिया है।
 
42 में 39 कंपनियों की लीज अवधि समाप्त
 
प्रदेश में सरकार ने आयरन ओर की माइनिंग के लिए 42 लीज दिए हैं। इनमें
केवल तीन कंपनियों की लीज अवधि अभी पूरी नहीं हुई है। शेष 39 कंपनियों की
लीज अवधि पूरी हो चुकी है, जिन्हें अब लीज नवीकरण कराना है। अर्थात इन 39
कंपनियों की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। जिन कंपनियों का लीज अवधि शेष है,
उनमें आनंदिता, रुंगटा की एक माइंस तथा उषा मार्टिन कंपनी शामिल है। 
 
सरकार को लेना है निर्णय
 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की राज्य सरकार समीक्षा कर रही है। अब झारखंड
सरकार को इस संबंध में आदेश जारी करना है। सरकार अब यह देख रही है कि लीज
नवीकरण जल्द किया जाए या लीज नवीकरण होने तक माइनिंग बंद करने का आदेश दिया
जाए। इस पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है।
 
क्या होगा असर
 
अगर माइंस बंद हो जाती है कि बड़ी संख्या में माइनिंग में लगे हुए
लोगों का रोजगार छिन सकता है। बेरोजगारी बढ़ सकती है। करोड़ों का कारोबार
प्रभावित हो सकता है तथा सरकार को मिलनेवाली रॉयल्टी भी नहीं मिलेगी।

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