अलफांसो आम पर प्रतिबंध से होगा 100 करोड़ का घाटा

हापुस आमों का व्यापार मुख्यत: नवी मुंबई के वाशी स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति में होता है। बुधवार से ही बाज़ार के अंदर तथा बाहर कोंकण से आए हापुस आमों से लदे ट्रकों की लंबी कतारें लगी हैं।

व्यापारी और किसान ट्रकों से आम उतरवाने में लगे हैं। जैसे-जैसे गरमी बढ़ रही है, वैसे-वैसे उत्पादकों के बीच आम की कीमतों को लेकर चिंता बढ़ रही है। हर किसान जल्द से जल्द अपना माल बेचने की कोशिश में है। इधर कर्नाटक के किसान भी अपनी फसल लेकर यहां पहुंच रहे हैं।

पाबंदी के बाद स्थानीय बाज़ारों में फलों के राजा की कीमत अचानक से गिर हो गई है। अनुमान के मुताबिक़ किसान और निर्यातकों को चंद दिनों के भीतर ही करीब 100 करोड़ रुपये का नुक़सान उठाना पड़ा है।
मध्य पूर्व में भी घटी मांग
ब्रिटेन के कृषि और पर्यावरण मंत्रालय डेफरा के प्रवक्ता ने बताया कि "यह अस्थाई प्रतिबंध हमारे यहां उगाई जाने वाली सलाद की फ़सल की सुरक्षा के लिए हैं. यह उद्योग 32.10 करोड़ पौंड (करीब 32.61 अरब रुपये) का है।

भारत एक व्यापारिक सहयोगी है और ये अस्थाई प्रतिबंध उनके साथ होने वाले सफ़ल व्यापार का एक मामूली हिस्सा भर है। हम भारत और अपने यूरोपीय प्रतिपक्षियों के साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने और इन चुनिंदा उत्पादों का व्यापार जल्द से जल्द शुरू करने के लिए काम कर रहे हैं।"

आम के साथ चार सब्ज़ियों- बैंगन, करेला, चचिंडा और अरबी के निर्यात पर भी यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाया है। यह निर्णय 1 मई यानी गुरुवार से लागू हो रहा है और 31 दिसंबर 2015 तक जारी रहेगा।

नवी मुंबई कृषि उत्पाद बाज़ार समिति के संचालक तथा आम व्यापारी संजय पानसरे ने कहा, "आम उत्पादक किसान पहले से ही कई संकटों का सामना कर रहा है. इस साल तापमान में अचानक हुई वृद्धि से फल पेड़ पर ही पकने लगे तो किसानों ने सारे के सारे फल यहां भेज दिए। जिसके कारण कीमतें बुरी तरह गिर गईं. पिछले दो दिन में ही आम से लदे हज़ार ट्रक बाज़ार पहुंचे हैं।"

पानसरे कहते हैं कि मुंबई कृषि उत्पाद बाज़ार समिति से हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का आम यूरोपीय देशों को निर्यात होता है, "लेकिन इस साल यह माल निर्यात नहीं हो सकेगा और हमें काफी नुक़सान उठाना पड़ेगा।"

यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के बाद व्यापारियों ने दुबई पर ध्यान केंद्रित किया था. लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लग रही। यूरोपीय संघ के प्रतिबंद के बाद करीब 40 फ़ीसदी हापुस आम अब दुबई तथा अन्य मध्य एशियाई देशों को जा रहा है।

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