जेनरिक दवाओं के सैंपल टेस्ट का देना होगा ब्योरा

प्रोटोकॉल
: जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता से जुड़ी शिकायतों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल तैयार कर रही है सरकार
: इसमें शिकायतकर्ता को दवा कब खरीदी गई थी, दवा की एक्सपाइरी डेट जैसी जानकारियां देनी होंगी
यह कवायद क्यों
: कई बार शिकायतकर्ता देश फेल होने वाले सैंपल का ब्योरा दिए बिना ही गुणवत्ता पर उठा देते हैं सवाल
: इससे जेनरिक दवाओं के निर्यातक के तौर पर देश की साख होती है प्रभावित

भारतीय जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले देश या पक्ष को अब सैंपल टेस्ट का ब्योरा देना होगा। सरकार इस टेस्ट का परीक्षण करने के बाद इन शिकायतों का निवारण करेगी।

केंद्र सरकार नकली दवाओं से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार कर रही है। इसके तहत एक निश्चित फॉर्मेट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शिकायतकर्ता पक्ष को इस फॉर्मेट में फेल होने वाले सैंपल के टेस्ट का ब्योरा सहित दवा की बिक्री से जुड़ी तमाम जानकारियां देनी होंगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ए.के.पांडा ने ‘बिजनेस भास्कर’ को बताया कि प्रोटोकॉल में शिकायतकर्ता को दवा कब खरीदी गई थी, दवा की एक्सपाइरी डेट और दवा किससे खरीदी गई थी जैसी जानकारियां देनी होंगी।

यह प्रोटोकॉल इस वजह से बनाया जा रहा है कि कई बार शिकायतकर्ता देश फेल होने वाले सैंपल का ब्योरा दिए बिना ही दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठा देते हैं। इससे जेनरिक दवाओं के निर्यातक के तौर पर देश की साख प्रभावित होती है।
पांडा के मुताबिक हाल ही में कुछ देशों से जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आई हैं।

इन शिकायतों के निस्तारण की कोई निश्चित प्रक्रिया न होने के कारण शिकायतकर्ता पक्ष और घरेलू दवा उद्योग दोनों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। कुछ देश कंपनियों के बजाय सीधे ट्रेडर्स से दवाएं खरीद लेते हैं। इस प्रक्रिया में दवाओं की टेस्टिंग भी नहीं होती है।

ऐसे में बाद में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर अगर कोई शिकायत आती है तो हमारे लिए इसकी जिम्मेदारी लेना कठिन होता है। पांडा का कहना है कि हम अगर किसी दूसरे देश से दवा खरीदते हैं तो खरीदने से पहले दवा का रैंडम परीक्षण करते हैं। ऐसे में हम दूसरे देशों को भी सलाह दे रहे हंै कि वे किसी भी पार्टी से दवा खरीदने से पहले उसका परीक्षण करें।

हाल ही में आर्मीनिया ने भारत सरकार के समक्ष भारत से निर्यात की गई डायबिटीज की दवा नकली होने का दावा करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद केंद्र सरकार इस तरह की शिकायतों पर कठोर कार्रवाई करने और एक प्रभावी प्रक्रिया तय करने के लिए काम कर रही है।

अमेरिका में भारतीय जेनरिक दवा कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी दवा नियामक की ओर से कार्रवाई होने के कारण वैश्विक स्तर पर जेनरिक दवाओं को लेकर नकारात्मक संदेश गया है। ऐसे में केंद्र सरकार जेनरिक दवा के निर्यातक के तौर पर देश की साख बचाने के लिए सक्रिय हो गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *