वाशिंगटन। भारत के अमीरों की दौलत पिछले 15 साल में 12 गुना बढ़ी है।
उनके पास कितनी संपत्ति है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस
राशि से देश की गरीबी एक साल में दो बार दूर की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुखिया क्रिस्टीन लगार्ड ने यह बात कही है।
उन्होंने भारत सहित दुनियाभर में बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चिंता जताते
हुए इस रुख को खतरनाक बताया है।
लंदन के रिचर्ड डिंबलबाय व्याख्यान में उन्होंने कहा, ‘हमें अच्छे से
पता है कि ज्यादातर देशों में आय की असमानता बढ़ रही है। दुनिया के 10 में
से सात लोग आज ऐसे देशों में रह रहे हैं जहां पिछले तीन दशक में असमानता
बढ़ी है।
यह इस आंकड़े से भी साबित होता है कि दुनिया के 85 सबसे अमीर लोगों के
पास विश्व के निचले स्तर की आधी आबादी के बराबर धन है।’ अमेरिका में विषमता
फिर से उसी स्तर पर आ गई जहां वह 1930 के दशक की मंदी के दौरान थी। वर्ष
2009 से सिर्फ एक प्रतिशत आबादी का 95 प्रतिशत आय पर कब्जा रहा। 90 प्रतिशत
आबादी और गरीब हुई है।
लगार्ड ने इस बात पर अफसोस जताया कि अतीत में अर्थशास्त्रियों ने
विषमता के महत्व को कम करके आंका है। वितरण पर ध्यान दिए बिना आर्थिक
वृद्धि बढ़ाए जाने को तवज्जो दिया। उन्होंने कहा कि सीधी बात यह है कि आय
में ऐसी भयानक असमानता से दीर्घकालिक स्तर पर सतत आर्थिक वृद्धि दर
प्रभावित होगी। साथ ही इससे ऐसी अर्थव्यवस्था का विकास होगा जो समावेशी
नहीं होगा।