नई व्यवस्था – सेज सरेंडर करने के इच्छुक डेवलपर को यह लिखित में देना होगा कि इसकी जमीन का उपयोग संशोधित गाइडलाइंस के अनुरूप ही किया जाएगा
सरेंडर – इस साल 31 जुलाई तक विभिन्न कारणों से कुल मिलाकर 58 सेज सरेंडर किए जा चुके हैं
वाणिज्य मंत्रालय ने किए है ये संशोधन
विशेष आर्थिक जोन (सेज) की स्थापना के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली
जमीन का अब दुरुपयोग न होने की उम्मीद है। सरकार द्वारा की गई नई व्यवस्था
से ही यह आस बंधी है। दरअसल, किसी भी सेज को सरेंडर करने के इच्छुक डेवलपर
को यह लिखित में देना होगा कि इसकी जमीन का इस्तेमाल हाल ही में संशोधित
गाइडलाइंस के अनुरूप ही किया जाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि सेज की अधिसूचना रद्द करने की मांग करने
वाले उन्हीं आवेदनों पर विचार किया जाएगा जो सरकार द्वारा तय किए गए तीन
पैमानों पर खरे उतरेंगे।
संशोधित सेज नियमों के मुताबिक, सेज की अधिसूचना रद्द करने संबंधी सभी
प्रस्तावों के साथ संबंधित राज्य सरकार की ओर से साफ-साफ शब्दों में लिखकर
दिया गया ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ भी जरूर पेश किया जाना चाहिए। सेज रद्द
होने संबंधी अधिसूचना जारी कर दिए जाने के बाद इस तरह के ‘लैंड पार्सल’ पर
संबंधित राज्य सरकारों की भूमि उपयोग वाली गाइडलाइंस अथवा मास्टर प्लान
लागू होंगे।
संशोधित नियमों के मुताबिक, राज्य सरकारें यह भी सुनिश्चित कर सकती हैं
कि इस तरह के लैंड पार्सल का उपयोग कमोबेश वैसे ही इन्फ्रास्ट्रक्चर के
निर्माण में किया जाएगा जिसका उल्लेख मूल सेज के डाक्यूमेंट में किया गया
था।
मंत्रालय ने कहा है कि उपर्युक्त शर्तें दरअसल मंजूरी बोर्ड द्वारा थोपी
जाने वाली शर्तों के अलावा हैं। मसलन, मंजूरी बोर्ड उन शुल्कों अथवा लाभों
को वापस करने के लिए डेवलपर्स से कह सकता है जो उन्हें रद्द सेज की भूमि
पर हासिल हुए होंगे।
मालूम हो कि वर्ष 2011 में न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) और लाभांश वितरण
कर लगाए जाने के बाद से ही सेज के प्रति निवेशकों का आकर्षण काफी घट गया
है। ग्लोबल स्तर पर छाई आर्थिक सुस्ती भी इसके लिए जिम्मेदार है। इस साल 31
जुलाई तक विभिन्न कारणों से कुल मिलाकर 58 सेज सरेंडर किए जा चुके हैं।