सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आतीं : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आती हैं।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने सभी सहकारी समितियों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने संबंधी केरल सरकार के परिपत्र को सही ठहराने वाला उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त करते हुए यह व्यवस्था दी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह की किसी संस्था के देखरेख या नियंत्रण मात्र से ही वह सार्वजनिक प्राधिकारी संस्था नहीं बन जाती।


न्यायाधीशों ने कहा कि निश्चित ही समितियां रजिस्ट्रार और संयुक्त रजिस्ट्रार जैसे विधायी प्राधिकारियों और सरकार के नियंत्रण में रहती हैं लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि समितियों के कामकाज पर सरकार का किसी तरह का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रहता है।


राज्य सरकार ने मई, 2006 में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को सूचित किया था कि राज्य विधान सभा द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत बनी सभी संस्थाएं सार्वजनिक प्राधिकरण हैं और इसलिए सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाली सभी सहकारी संस्थायें सार्वजनिक प्राधिकरण हैं।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के इस निर्णय को निरस्त करते हुए कहा कि इन समितियों के संदर्भ में रजिस्ट्रार का अधिकार सिर्फ इनकी देखरेख और नियंत्रण तक ही सीमित है। न्यायालय ने कहा कि सिर्फ देखरेख या उनका नियंत्रण करने मात्र से ऐसी संस्था को सूचना के अधिकार कानून की धारा 2 के दायरे में सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं माना जा सकता।
(भाषा)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *