नई दिल्ली। जुलाई माह में बिहार में 22 बच्चों की मौत की त्रासदीपूर्ण घटना के मद्देनजर अनेक उपायों की घोषणा के बाद भी मध्याह्न भोजन खाने से जहां बच्चों के बीमार पड़ने का सिलसिला नहीं थम रहा है, वहीं कई राज्यों ने जनवरी से मार्च माह का योजना क्रियान्वयन का पूरा ब्यौरा तक जारी नहीं किया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अरूणाचल प्रदेश, असम, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस वर्ष जनवरी से मार्च माह का योजना क्रियान्वयन का पूरा ब्यौरा जारी नहीं किया है।
जुलाई माह में बिहार में 22 बच्चों की मौत की त्रासदीपूर्ण घटना के बाद अगस्त माह में बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और ओडिशा के स्कूलों में मध्याह्न भोजन खाने से बच्चों के बीमार पड़ने की घटना सामने आई हैं।
सितम्बर माह में उत्तरप्रदेश में लखीमपुर खीरी जिले की मोहम्मदी तहसील के एक स्कूल में मध्याह्न भोजन खाने से 20 और जालौन जिले के कालपी क्षेत्र के एक स्कूल में 16 बच्चे बीमार हुए।
वहीं, बिहार के नालंदा जिले में एक स्कूल में मध्याह्न भोजन खाने से 15 बच्चे और एक शिक्षक बीमार हुए।
केन्द्र सरकार ने इस योजना के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए निगरानी समिति गठित की है जिसका उद्देश्य आपूर्ति की गई खाद्य सामग्री की गुणवत्ता के साथ आपूर्ति श्रृंखला एवं स्वच्छता सुनिश्चित करना है।
मंत्रालय ने राज्यों में मध्याह्न भोजन योजना की पांचवी समीक्षा शुरू की है। इसके तहत बिहार में 21 अगस्त से 30 अगस्त के बीच समीक्षा कार्य को आगे बढ़ाया गया। महाराष्ट्र में यह 30 सितंबर से 9 अक्तूबर तथा ओडिशा में 23 सितंबर से 30 अक्तूबर के बीच समीक्षा होगी।
उत्तरप्रदेश में योजना की समीक्षा का कार्य 8 जुलाई से 17 जुलाई, मध्यप्रदेश में 11 अगस्त से 21 अगस्त के बीच योजना की समीक्षा की गई।
इस कार्यक्रम का मकसद राज्य स्तर से स्कूल स्तर तक योजना के तहत खाद्यान्न की उपलब्धता, गुणवत्ता, शिक्षकों की भूमिका और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम पर नजर रखना है। इसके तहत योजना के बारे में बच्चों, अभिभावकों एवं शिक्षकों की संतुष्टि का भी पता लगाया जाना है। इसके तहत आधारभूत संरचना का भी आकलन किया जायेगा।
मंत्रालय के 2012..13 के आंकड़े के मुताबिक, बिहार में मध्याह्न भोजन के लिए रसोईघर सह स्टोर के निर्माण का 30 प्रतिशत कार्य अभी शुरू नहीं किया गया है जबकि 14 प्रतिशत कार्य प्रगति पर है। महाराष्ट्र में रसोईघर सह स्टोर के निर्माण का 70 प्रतिशत कार्य शुरू नहीं हुआ है जबकि केरल में 67 प्रतिशत, तमिलनाडु में 22 प्रतिशत, झारखंड में 68 प्रतिशत, हरियाणा में 41 प्रतिशत, कर्र्नाटक में 32 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 42 प्रतिशत कार्य शुरू नहीं हुआ है।
(भाषा)