दुनिया की 40 प्रतिशत बालिका वधू भारत में

रांची: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 में यह बात कही गयी है कि साक्षरता
की दर बढ़ने और बाल विवाह पर कानूनी रोक होने के बावजूद भारत में धर्म तथा
परंपराओं के चलते बाल विवाह प्रथा आज भी जारी है. दक्षिण एशिया में दुनिया
के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले सर्वाधिक बाल विवाह होने को रेखांकित करते
हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं. इस
रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में 18 से 29 आयुवर्ग की 46 प्रतिशत
महिलाएं ऐसी हैं, जिनकी शादी 18 वर्ष से कम उम्र में कर दी गयी.

यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में फिलहाल दो करोड़ 30 लाख बालिका वधुएं हैं,
जो दुनिया भर में हिस्सेदारी के मामले में 40 प्रतिशत है. सर्वे रिपोर्ट
यह भी बताती है कि इसी क्षेत्र में आधे से अधिक नवजात शिशुओं के जन्म को
पंजीबद्ध ही नहीं किया जाता. वहीं, दुनियाभर में मानवाधिकार संबंधी काम
करनेवाली गैर सरकारी संस्था ‘ब्रेकथ्रू’ ने झारखंड के रांची और हजारीबाग,
बिहार के गया जिले में अपने काम के दौरान पाया है कि इन क्षेत्रों में 20
से 24 आयुवर्ग की 60 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनकी शादी 18 साल से कम
उम्र में कर दी गयी.

कहते हैं आंकड़े

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 (साल 2005-06) में पाया गया कि 20-24
आयुवर्ग की 45 फीसदी महिलाओं का ब्याह 18 साल की वैधानिक उम्र से पहले हुआ.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2(साल 1998-99) में ऐसी महिलाओं की तादाद 50
फीसदी थी.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 में दो बेटियों वाली (मगर पुत्रवंचित) 62
फीसदी मातओं ने कहा कि उन्हें और बच्चे नहीं चाहिए. नेशनल फैमिली हेल्थ
सर्वे-2 में ऐसी माताओं की तादाद 47 फीसदी थी.

भारत में शिशु मृत्यु दर लगातार घट रही है. साल 1998-99 में

इसकी तादाद प्रति हजार जन्म पर 68 थी, जो साल 2005-06  में घट कर 57 हो गयी.

युनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के मुताबिक, अगर 2011 से 2020
के बीच यही सिलसिला जारी रहा, तो 14 करोड़ लड़कियां बालिका वाधू बन चुकी
होंगी, जिनमें एक करोड़ 85 लाख वैसी लड़कियां होंगी, जिनकी उम्र 15 साल से
कम होगी.

झारखंड बिहार में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय स्तर की गैर सरकारी संस्था
‘ब्रेकथ्रू’ के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 18
साल से कम उम्र में ब्याह दी गयी लड़कियों की संख्या 71 प्रतिशत रही, जबकि
शहरी क्षेत्रों में यह 33} रही.

बिहार की बात करें तो, यहां ग्रामीण क्षेत्रों में 65.2 प्रतिशत
लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र में ब्याह दी गयीं, जबकि शहरी क्षेत्रों में
यह आंकड़ा 37 प्रतिशत रहा.

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