फूड बिल पर सस्पेंस बरकरार, राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं

नयी दिल्ली : सरकार ने भोजन अधिकार बिल को लेकर अध्यादेश तो जारी कर दिया है, लेकिन अभी तक इस बिल को लेकर सस्पेंस बरकरार है.

पहले यह खबर आयी थी कि अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि चूंकि राष्ट्रपति कानपुर गये हुए हैं इसलिए अध्यादेश को मंजूरी नहीं मिल पायी है. राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति सचिवालय को कल रात 10 बजे अध्यादेश मिल गया. आज आईआईटी कानपुर से लौटने पर यह विचार के लिए राष्ट्रपति को दिया जाएगा.राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज खाद्य सुरक्षा अध्यादेश पर दस्तखत कर सकते हैं. राजनीतिक विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने बुधवार को मुद्दे पर अध्यादेश लाने का फैसला किया था. कार्यान्वित हो जाने पर खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा जिसके तहत 67 प्रतिशत आबादी को 6 करोड़ 20 लाख टन चावल, गेहूं और साधारण अनाज की आपूर्ति के लिए सरकार सालाना करीब 125 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी.

इसके तहत देश की दो तिहाई आबादी को हर महीने 1 से 3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यंत रियायती दरों पर 5 किलोग्राम अनाज मिल सकेगा. विपक्षी दलों ने अध्यादेश लाने के लिए सरकार की निन्दा की है और आरोप लगाया है कि इसने संसद की उपेक्षा की है तथा यह कदम चुनावों को देखते हुए उठाया गया है. सरकार ने आरोपों को यह कहकर खारिज किया है कि वह करोड़ों लोगों को भोजन मुहैया कराना चाहती है और आरोप लगाया है कि पूर्व में संसद सत्रों को बाधित करने वाले विपक्ष के नेता अब संसद का नाम लेकर घडि़याली आंसू बहा रहे हैं. कल केंद्र सरकार ने बडी ही जल्दबाजी में फूड सिक्योरिटी बिल को लेकर अध्यादेश जारी कर दिया था.जिसके कारण विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है. विपक्ष का कहना है कि आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार इस बिल को लागू करवाने के लिए जल्दी में है.

राजकोषीय घाटा आधा प्रतिशत बढ़ सकता है

मुंबई: डीबीएस बैंक का कहना है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के निर्णय से चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत के लक्ष्य से आधा प्रतिशत आगे बढ़ सकता है और इससे मामला और जटिल बन सकता है.


सिंगापुर स्थित इस ब्रोकरेज फर्म ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस साल राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से कम से कम आधा प्रतिशत उपर जा सकता है.” रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी बिल बढ़कर जीडीपी के 2.3 प्रतिशत तक पहुंच सकता है जो 1.9 प्रतिशत के लक्ष्य से काफी उपर है. सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी की मुख्य वजह व्यापक स्तर पर खाद्य सब्सिडी होगी.

राजकोषीय मोर्चे पर रुपये में गिरावट और बाद में कच्चे तेल में तेजी, आग में घी डालने जैसा काम करेगी. उल्लेखनीय, है कि मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने का कल निर्णय किया. खाद्य सुरक्षा विधेयक के जरिए देश की दो.तिहाई आबादी को 1 से 3 रुपये प्रति किलो की दर पर हर महीने 5 किलो खाद्यान्न का कानूनी अधिकार मिल जाएगा.

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