कोलकाता: तेजी से बढ़ते एक्वेरियम उद्योग की मांग के आगे झुकते हुए भारत ने पिछले 7 साल में 15 लाख से अधिक लुप्तप्राय मछलियों का निर्यात किया जिससे देश के विविधताओं से भरे जलजंतु का भविष्य प्रभावित हो रहा है.
कोच्चि स्थित परिस्थितिकी वैज्ञानिक राजीव राघवन की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, ‘‘ वर्ष 2005..2012 के दौरान 30 लुप्तप्राय प्रजातियों से जुड़ी 15 लाख से अधिक मछलियों का निर्यात किया गया.” अंतरराष्ट्रीय जर्नल बायोलाजिकल कन्जर्वेशन के ताजा संस्करण में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 50 लाख एक्वेरियम मछलियों के कुल निर्यात में लुप्तप्राय प्रजातियों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत रही.
अध्ययन के मुताबिक, 15 लाख लुप्तप्राय मछलियों में प्रमुख हिस्सा तीन प्रजातियों. बोटिया स्ट्रियाटा, कैरिनोटेट्राओडोन और रेड लाइन्ड टोरपेडो बार्ब्स का रहा. इनमें से ज्यादातर मछलियों को पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाटों से पकड़ा गया. सात साल की अवधि में 16 लाख डालर से अधिक मूल्य की एक्वेरियम मछलियों का निर्यात किया गया.