नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। सरकार ने अगले नौ सालों में देश के 50 करोड़ युवाओं को कुशल कामगार बनाने का फैसला तो कर लिया,लेकिन तीन साल बाद भी कुछ ठोस नतीजे सामने नहीं हैं। अलबत्ता भविष्य की जरूरतों व चुनौतियों के मद्देनजर स्किल्ड डेवलपमेंट के जरूरी उपायों की कोशिशें जरूर जारी हैं। उसी सिलसिले में योजना एक वर्कर्स टेक्निकल यूनीवर्सिटी खोलने की है। मकसद, युवाओं को कौशल विकास में डिप्लोमा, डिग्री की पढ़ाई और उस क्षेत्र में रिसर्च तक के अवसर उपलब्ध कराना है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की तैयारी कौशल विकास के पुराने ठर्रे को बिल्कुल बदलने की है। अभी कौशल विकास के महज सर्टिफिकेट कोर्स ही चल रहे हैं। कौशल विकास के प्रशिक्षण लेने वाले लोगों को नौकरी आदि में एक बार जो मौका मिलता है, वे सर्विस के अंत तक प्राय: उन्हीं पदों पर रह जाते हैं, जबकि समय बीतने के साथ उनके अनुभव और दक्षता बढ़ जाती है, लेकिन ऊंचे पदों पर पहुंचने के लिए उनके पास जरूरी शिक्षण- प्रशिक्षण की योग्यता नहीं होती। लिहाजा, स्किल डेवलपमेंट में भी डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करना इस दौर की जरूरत है।
भविष्य की इसी रणनीति के तहत ही श्रम एवं रोजगार मंत्रालय वर्कर्स टेक्निकल यूनीवर्सिटी खोलने की कवायद कर रहा है। इस मामले में जर्मनी उसका सहयोग करेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पिछले जर्मनी दौरे के समय ही दोनों देशों के बीच एक सहमति पत्र [एमओयू] पर हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें आपसी सहयोग से भारत में एक हायर इंस्टीट्यूट आफ वोकेशनल लर्निग की बात शामिल थी। सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय उसी क्रम में वर्कर्स टेक्निकल यूनीवर्सिटी खोलने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। यूनीवर्सिटी खुलने के बाद मंत्रालय के अधीन संचालित चुनिंदा वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर, स्किल डेवलपमेंट सेंटर समेत दूसरे उच्च प्रशिक्षण संस्थान भी उससे संबद्ध किये जा सकते हैं। साथ उच्च वोकेशनल व स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दिलाने वाले निजी क्षेत्र के कालेजों को भी उससे संबद्धता मिल सकेगी। यूनीवर्सिटी से संबद्ध संस्थानों व कॉलेजों से पास होने वाले युवाओं को डिग्री व डिप्लोमा का सर्टिफिकेट मिलेगा।
ज्ञात हो, देश में 15 से 59 साल के आयु वर्ग के कामगारों में महज दस फीसद ही ऐसे हैं, जो व्यावसायिक प्रशिक्षण [वोकेशनल ट्रेनिंग] प्राप्त हैं। उसमें भी 33 फीसद सर्विस सेक्टर और 31 फीसद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में हैं। बाकी क्षेत्रों में स्थिति बहुत खराब है। जहां तक व्यावसायिक शिक्षण व प्रशिक्षण का सवाल है तो भारत में हर साल महज 35 लाख लोग दाखिला लेते हैं, जबकि चीन में यह सालाना नौ करोड़ और अमेरिका में एक करोड़ दस लाख है। इन स्थितियों के मद्देनजर ही केंद्र सरकार ने फरवरी, 2009 में ही राष्ट्रीय कौशल विकास नीति को मंजूरी दी थी। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के जरिए उसी समय 2022 तक देश में 50 करोड़ लोगों को स्किल्ड ं[कौशलयुक्त] करने का भी लक्ष्य तय कर दिया गया था।