72,800 करोड़ के घरेलू दवा बाजार में जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल दवाओं की हिस्सेदारी है 20 फीसदी के करीब
घरेलू बाजार पर निर्भरता वाली कंपनियों की आय पर पड़ेगा नई प्राइसिंग पॉलिसी का ज्यादा असर
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के लिए प्रस्तावित बाजार-आधारित प्राइसिंग मैकेनिज्म से नियर टर्म में दवा कंपनियों की आय पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से, घरेलू बाजार पर निर्भर कंपनियों की आय पर इस नीति का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
गुरुवार को यहां जारी अपनी रिपोर्ट में इक्रा ने कहा है कि जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल दवाओं की घरेलू बाजार में हिस्सेदारी 20 फीसदी के करीब है।
घरेलू दवा बाजार का आकार इस समय 72,800 करोड़ रुपये के करीब है। नई नीति के लागू होने से इन दवाओं की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक की कमी होगी। इससे कंपनियों की आय पर कुल मिलाकर तीन से चार फीसदी तक का विपरीत असर पड़ेगा। तुलनात्मक रूप से घरेलू बाजारों पर ज्यादा निर्भर रहने वाली कंपनियों पर इस नीति का असर उनके एक्सपोजर के साथ ही बढ़ता जाएगा।
इक्रा के मुताबिक, इन कंपनियों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की घरेलू सब्सिडियरी कंपनियां व मझोले आकार की घरेलू कंपनियां शामिल हैं। इनमें से अधिकांश कंपनियों की कुल दवाओं की 70 फीसदी दवाएं जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल हैं। जबकि, अमेरिका के जेनरिक बाजार जैसे रेगुलेटेड बाजारों में ज्यादा एक्सपोजर रखने वाली कंपनियों पर इस नई दवा नीति को कोई खास असर पडऩे की उम्मीद नहीं है।
फार्मास्युटिकल विभाग ने हाल ही में एक विस्तृत नोट जारी किया है, जिसके जरिए प्रस्तावित प्राइसिंग नीति के लागू होने का रास्ता साफ कर दिया गया है। अपने पूर्व में दिए प्रस्ताव के अनुरूप ही फार्मास्युटिकल विभाग ने इस नीति में किसी एक ब्रांड की दवा की अधिकतम कीमत बाजार में उपलब्ध एक फीसदी या इससे ज्यादा की हिस्सेदारी रखने वाले सभी ब्रांडों की औसत कीमत के हिसाब से तय करने का तरीका अपनाया है।
इस नीति के तहत जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शुमार 348 आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया जाएगा। कंपनियों को इन दवाओं की कीमतों में होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्लूपीआई) के आधार पर बदलाव करने की इजाजत होगी। इस मुद्दे पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी होने के बाद सरकार दवाओं के अधिकतम मूल्य की सूची घोषित करेगी। इसके बाद 45 दिन के भीतर यह कीमतें लागू हो जाएंगी।
हालांकि, इक्रा ने कहा है कि लंबी अवधि के लिहाज से बाजार आधारित प्राइसिंग मैकेनिज्म कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।