वैज्ञानिकों ने मक्का की नई हाईब्रिड किस्म विकसित की है। इसकी खासियत दोगुने से ज्यादा पैदावार देने की इसकी क्षमता है। गुजरात के आनंद कृषि विश्वविद्यालय (एएयू) द्वारा विकसित इस किस्म के मक्का की खेती राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में हो सकती है।
गुजरात आनंद यलो हाइब्रिड मैज-1 (जीएवाईएचएम) नामक इस बीज को प्रदेश के बारिश सिंचित उत्तर व मध्य क्षेत्र में खरीफ सीजन में रोपी जा सकती है। इसके बारे में एएयू के अनुसंधान निदेशक के. बी. कठेरिया ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र के लिए यह बेहतर विकल्प है।
इसे अगले वर्ष तक किसानों को खेती करने के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। यह बीज हरियाणा के हिसार द्वारा विकसित बीज एचक्यूपीएम से अधिक उत्पादन देता है। हिसार द्वारा विकसित बीज से एक हेक्टेयर क्षेत्र में 1439 किलो तक उत्पादन करने की क्षमता है जबकि जीएवाईएचएम 4000 किलो तक उत्पादन दे सकता है।
उन्होंने बताया कि इस बीज को स्टेट रिसर्च काउंसिल से मान्यता मिल चुकी है। यह बीज जीएम द्वितीय से भी 24 फीसदी अधिक उत्पादन करने की क्षमता रखता है। इसकी फसल 80-85 दिनों में तैयार हो जाती है जबकि अन्य किस्मों को तैयार होने से में 100 से 120 दिन तक लग जाते हैं।
अनुसंधान निदेशक ने बताया कि अन्य मक्का किस्मों की तुलना में इसमें 2.85 फीसदी अधिक प्रोटीन है, जो आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
बता दें कि साबरकांठा, बनासकांठा, पंचमहल, दाहोद सहित गुजरात के अन्य क्षेत्र में भारी मात्रा में मक्का का उत्पादन किया जाता है। गुजरात में करीब 4.23 लाख हेक्टेयर में मक्का का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश का प्रतिवर्ष उत्पादन करीब 6 लाख टन है।