रांची। झारखंड के आधे से ज्यादा जिलों में चल रहे महिला थानों की
कमान पुरुष प्रभारियों के हाथ में है। कई थानों में सहयोगी पुलिसकर्मियों
में भी पुरुषों की संख्या अच्छी-खासी है। इससे महिला थानों की स्थापना का
उद्देश्य ही बेमानी हो रहा है। महिला भुक्तभोगियों को उनके लिए स्थापित
थानों का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, इन सबके बीच देवघर जिले
में महिला थाने ने अपनी अलग पहचान बनाकर उदाहरण भी पेश किया है।
सामान्य थानों में ही चल रहे महिला थाने : राज्य के कई जिलों में
महिला थाने सामान्य थानों (सदर थाना) में ही चल रहे हैं। इसका प्रभारी भी
उसी थाने के प्रभारी को बनाकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। हजारीबाग एवं
चाईबासा का सदर थाना इसका उदाहरण है। कई महिला थानों की हाजत के लिए भी
सामान्य थानों की हाजतों से ही खानापूर्ति की जा रही है।
तत्काल राहत के लिए हुआ है थानों का गठन
महिलाओं पर अत्याचार रोकने, उनसे जुड़े मामलों में त्वरित कार्रवाई व
सुनवाई और महिला उत्पीडऩ के मामले में पीडि़तों को तत्काल राहत पहुंचाने के
लिए राज्य में महिला थानों का गठन किया गया है। छेडख़ानी, कार्य स्थल पर
यौन शोषण, दहेज हत्या, अंधविश्वास और डायन आदि के आरोप के मामलों में तेजी
से कार्रवाई इन थानों का मुख्य कार्य है। लेकिन, इन महिला थानों की स्थिति
ठीक नहीं है। तमाम महिला थानों के पास बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं
हैं। यहां तक कि महिला शौचालय की व्यवस्था नहीं है। अधिकतर महिला थानों का
अलग भवन नहीं है। कहीं भवन है भी, तो वह जर्जर है।
इन महिला थानों में हैं पुरुष प्रभारी
लोहरदगा, मेदिनीनगर, गढ़वा, कोडरमा, चतरा, सिमडेगा, लातेहार, हजारीबाग,
चाईबासा। इसके अलावा राज्य के कई अन्य महिला थानों में महिला प्रभारी एवं
महिला पुलिसकर्मियों के साथ पुरुष पुलिसकर्मी भी तैनात हैं। यहां तक कि
राजधानी में चल रहे महिला थाने के मुंशी व चालक भी पुरुष हैं। यहां महिला
सशस्त्र पुलिस बल उपलब्ध नहीं है।
एसपी को है व्यवस्था का जिम्मा
महिला थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की व्यवस्था संबंधित
जिलों के एसपी को करनी है। अगर एसपी के पास पर्याप्त बल नहीं है, तब वह
पुलिस मुख्यालय से इसकी मांग कर सकता है। अगर जिलों के एसपी महिला पुलिस
अफसर या अन्य कर्मियो की मांग करेंगे तो इसकी व्यवस्था की जा सकती है।
देवघर बना महिला थाना का मॉडल
देवघर के एसपी सुबोध प्रसाद ने पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर विशिष्ट
महिला थाने को सक्रिय किया है। इसी साल जनवरी में यह थाना सक्रिय हुआ है।
झारखंड के लिए यह उदाहरण है। वहां थाना प्रभारी से लेकर सभी तरह के कर्मी
महिलाएं ही हैं। इतना ही नहीं वहां सशस्त्र बल भी महिला के रूप में ही
तैनात हैं। ताकि, महिलाएं निर्भीक होकर अपनी शिकायत रख सकें।