पटना: राज्य के 66 फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। जीरो
से पांच साल के बच्चों की हाल तो और खराब है। पांच वर्ष से कम उम्र के 80
प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। इसका असर उनके शारीरिक एवं मानसिक
विकास पर पड़ रहा है। ये बातें सोमवार को प्लान इंडिया एवं निदान के
संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान में
आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञ मनीष कुमार ने कहीं।
श्री कुमार ने कहा कि माताओं की स्थिति बेहद खराब है। मां ही कुपोषित
है, तो हम स्वस्थ बच्चे की आशा नहीं कर सकते हैं। दो-तिहाई माताएं गंभीर
रूप से कुपोषण की शिकार हैं। पुनर्वास की हो व्यवस्था
सेमिनार में बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के अध्यक्ष रामदेव प्रसाद ने
कहा कि सरकार द्वारा मुक्त कराये जा रहे बाल श्रमिकों के पुनर्वास की
व्यवस्था करने की जरूरत है, ताकि एक बार मुक्त कराये गये बच्चे दोबारा
बालश्रम में न फंसें।
बाल व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र
एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के रजिस्ट्रार एवं विशेषज्ञ नील रतन
ने कहा कि बिहार पूरे देश में बाल व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।
यहां से पूरे देश में बच्चों को बालश्रम के लिए भेजा जा रहा है। इसे रोकने
के लिए जरूरी है कि समाज के पिछड़े तबके के लोगों को सरकारी योजनाओं के
प्रति जागरूक किया जाए। बच्चों का पलायन रोकने में स्थानीय जन प्रतिनिधियों
की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
बाल केंद्रित विकास की जरूरत
सेमिनार में प्लान इंडिया के कार्यक्रम प्रबंधक सुकांतो साहु ने कहा कि
लोगों की मानसिकता बदलने के जरूरत है। समाज का विकास बाल केंद्रित होना
चाहिए। तभी सही मायने में समाज विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
सेमिनार में अतिथियों का स्वागत प्लान इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी तुषार
कांति दास ने किया। धन्यवाद ज्ञापन निदान के कार्यक्रम प्रभारी रत्नेश
कुमार ने किया।