सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, निजी में भरमार

भागलपुर: सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी ने शिक्षण
के निजी व्यवसाय को हवा देने में कोर-कसर नहीं छोड़ी है. सरकारी शिक्षण
संस्थान मूलभूत सुविधाओं को भी खोता जा रहा है, भवन पुराने होते जा रहे
हैं, कर्मचारियों तक की कमी होती जा रही है. दूसरी ओर तमाम सुविधाएं ही
नहीं, एयर कंडीशंड क्लासरूम, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति, बिना परेशानी
फटाफट होनेवाली कागजी कार्रवाई के साथ निजी शिक्षण संस्थान दमक रहे हैं.

महज 12-14 रुपये में महीने भर कॉलेजों में पढ़ाई होती है, लेकिन छात्रों
की नियमित उपस्थिति नहीं हो पाती. दूसरी ओर हजारों रुपये देकर छात्र हर
दिन हजारों की संख्या में निजी शिक्षण संस्थान जाना नहीं छोड़ते. गत 27
फरवरी को प्रभारी कुलपति प्रो अरुण कुमार सिन्हा से शिक्षकों के प्रतिनिधि
मिले थे. प्रो सिन्हा ने प्रतिनिधिमंडल से एक ही मांग की थी कि वे नियमित
रूप से कक्षा में उपस्थित हों, छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने पर ध्यान दें.
प्रभारी कुलपति की यह मांग यह बताने के लिए काफी है कि कॉलेज के क्लासरूम
की स्थिति किस तरह की है, जिनकी उन्हें पूरी जानकारी है.

मानसिकता भी बदली है
मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ एमएसएच जॉन की
मानें तो कॉलेजों में जो भी शिक्षक नियुक्त हैं, वे यह चाहते हैं कि चाहे
जैसे भी हो कोर्स पूरा कर देंगे. दूसरी ओर कॉलेज का ट्यूशन फी भी कम है. डॉ
जॉन कहते हैं कि छात्रों की मानसिकता बदली हुई है. उन्हें लगता है कि पांच
हजार रुपये देकर जो पढ़ाई उन्हें मिलेगी वह कॉलेजों में नहीं मिलनेवाली.
इसलिए भी कॉलेज के क्लास में कम उपस्थिति होती है.

पिस रहे गरीब
छात्र राजद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष डॉ आनंद आजाद ने
बताया कि विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है. कई विषयों
में नाममात्र शिक्षक रह गये हैं और नियुक्ति की दिशा में सरकार कुछ कर
नहीं रही है. इसका लाभ निजी शिक्षण संस्थान उठा रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा
गरीब तबके के बच्चे परेशान हो रहे हैं. जिनके पास पैसा है वे तो पढ़ लेते
हैं, लेकिन जिनके पास नहीं है वे कॉलेजों के भरोसे भविष्य गढ़ने में लगे
हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेजों व पीजी विभागों में हर साल छात्रों की
संख्या बढ़ती जा रही है और शिक्षकों के स्वीकृत पद बढ़ाने के बदले सरकार
इसमें कमी करने में लगी है.

ठेके पर भी पढ़ाई
इंटरमीडिएट से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई अब
ठेके पर भी चल रही है. यानी आधी रकम शुरू में और आधी किस्तों में देनी है.
कोर्स पूरा करने की अवधि तय रहती है. सूत्र बताते हैं कि इंटरमीडिएट में
साइंस की पढ़ाई के लिए लगभग 15 हजार रुपये लिये जाते हैं. बीएससी करने में
एक पार्ट के एक विषय के लिए 2500 से 3000 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है.
बीए के प्रत्येक ऑनर्स पेपर का नोट्स 2000 से 3000 रुपये में बिक रहा है.
हां, ऐसे भी शिक्षक हैं जो छात्रों से नोट्स के बदले केवल फोटोकॉपी कराने
का पैसा लेते हैं. बीकॉम में एक पार्ट में तीन से चार हजार रुपये लगता है.
सूत्रों काकहना है कि यह औसतन राशि है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *