नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगले हफ्ते पेश होने वाली मौद्रिक नीति की
मध्य तिमाही समीक्षा में ब्याज दरों के घटने की संभावना फिर कम होती जा रही
है। बुधवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि तमाम कोशिशों के
बावजूद महंगाई की स्थिति में बहुत सुधार नहीं है। लगातार दूसरे महीने खुदरा
महंगाई की दर में बढ़ोतरी हुई है। नवंबर में यह 9.90 फीसद रही है। इसलिए
आसार यही हैं कि इस महंगाई के दहाई के करीब पहुंचने से रिजर्व बैंक फिलहाल
ब्याज दरों में कटौती से परहेज करेगा।
ये आंकड़े फिर यह बताते हैं कि खाद्य उत्पादों के आपूर्ति पक्ष में खास
सुधार नहीं हुआ है। मोटे अनाज, दाल, तेल और दुग्ध उत्पादों की कीमतों में
लगातार वृद्धि हुई है, जबकि सब्जियों की कीमतें भी नवंबर में 14 फीसद से
ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं। रिजर्व बैंक [आरबीआइ] लगातार सरकार से कह रहा है
कि वह खाद्य उत्पादों की आपूर्ति सुधार कर महंगाई पर काबू पाए। ऐसे में
ब्याज दरों को लेकर केंद्रीय बैंक नरमी भरा रुख अपनाएगा, इसमें संशय है।
आरबीआइ यह मानता है कि ब्याज दरों को कम करने से महंगाई की दर और तेज हो
सकती है।
रिजर्व बैंक ने पिछली दफा तिमाही समीक्षा के दौरान ही रेपो या रिवर्स
रेपो रेट में कोई कमी नहीं की थी। इस पर उद्योग जगत के साथ ही वित्त मंत्री
पी चिदंबरम ने भी तल्ख टिप्पणी की थी। उसके बाद के औद्योगिक वृद्धि के
आंकड़े भी खास उत्साहजनक नहीं रहे हैं। उद्योग जगत भी सरकार और रिजर्व बैंक
से लगातार आग्रह कर रहा है कि ब्याज दरों को कम किया जाए , ताकि औद्योगिक
मंदी से उबरने में मदद मिले। महंगाई की दर में लगातार तीसरे महीने वृद्धि
को देखते हुए सस्ते कर्ज के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।