आखिर कैसे बचेगी गरीबों की जान

ईश्वर न करे किसी गरीब को सजर्री कराने की नौबत आये. महंगाई चिकित्सा के
इस क्षेत्र में भी नंगा नाच कर रही है. हाल के दिनों में सजर्री के
क्षेत्र में दो से 12 हजार रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. यह वृद्धि
सामान्य अस्पतालों की है.

कॉरपोरेट अस्पतालों तक तो गरीबों की पहुंच ही नहीं है. शहर के एक
प्रख्यात नर्सिग होम में दो साल पहले जहां हर्निया का ऑपरेशन सात हजार
रुपये में होता था, आज वह बढ़कर 17 हजार 135 रुपये हो गया है. वह भी सिर्फ
तीन दिन अस्पताल में भरती रहने के लिए. इसके बाद जितने दिन अस्पताल में
भरती रहेंगे दवा, नर्सिग केयर, डॉक्टर विजिट फी का भुगतान अलग से करना
होगा.

पैकेज प्रणाली को बढ़ावा
निजी नर्सिग होम या अस्पतालों में इन दिनों
हर तरह के ऑपरेशन के लिए पैकेज बना दिये गये हैं. पैकेज के हिसाब से ही
मरीजों को भुगतान करना होता है. यदि हाइड्रोसील का ऑपरेशन करवाना है तो
उसके लिए अलग पैकेज, यदि गॉल ब्लाडर का आपॅरेशन कराना है तो उसका अलग
पैकेज. मतलब साफ जिस तरह टूर कंपनियां टूर के लिए पैकेज तैयार करतीं हैं,
उसी तरह निजी अस्पतालों ने भी पैकेज प्रणाली को अपना लिया है.

सजर्न फी साढ़े सात हजार
दो साल पहले ऑपरेशन करने के लिए सजर्न जहां
दो से पांच हजार रुपये लेते थे, आज पांच से साढ़े सात हजार ले रहे हैं. कुछ
यही हाल बेहोशी के डॉक्टरों का भी है. बेहोशी के डॉक्टरों ने भी अपनी फी
में एक हजार से दो हजार रुपये का इजाफा कर दिया है. कुछ नर्सिग होम या
अस्पतालों में यह रेट भिन्न हो सकता है.

रेट निर्धारण है इनके जिम्मे
देशभर में निर्जी नर्सिग होम या
अस्पतालों में चिकित्सा दर का निर्धारण तीन एजेंसियां करती है. पहली एजेंसी
है राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, दूसरी है इंडियन बैंक एसोसिएशन और
तीसरी एजेंसी है सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ सर्विसेज. सामान्य अस्पतालों व
कारपोरेट अस्पतालों के लिए अलग-अलग दर का निर्धारण किया जाता है. यदि धनबाद
में हाइड्रोसिल का ऑपरेशन पांच हजार रुपये में होगा तो अपोलो, नई दिल्ली
में साठ हजार में.

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