रायपुर, 8 अक्टूबर (एजेंसी) केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि
देश के किसानों के बदौलत आज भारत कई देशों को अनाज का निर्यात कर रहा है।
राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान मेला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पवार
ने कहा कि आज भारत के किसानों ने दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है।
एक समय था जब दुनिया के कई देशों से भारत अनाज आयात करता था। लेकिन अब आज
बड़ी मात्रा में अनाज, फलों और सब्जियों का निर्यात कर रहा है।
उन्होंने
छत्तीसगढ़ के किसानों की कामयाबी के के बारे में कहा कि देश पहले चावल की
आपूर्ति के लिए पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे
राज्यों पर निर्भर था। लेकिन पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ ने चावल उत्पादन के
क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की की है। यहां के किसान काफी मेहनती और लगनशील
है और उनमें क्षमता भी है कि वे देश की आशाओं को पूरा कर सकें।
पवार
ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में जो भी सुझाव या मांगे
रखी गई हैं, उस पर भारत सरकार गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने राज्य
सरकार से आह्वान किया कि कें्रद और राज्य सरकार मिल कर एक ऐसी योजना बनाएं
जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके और उनका
जीवन स्तर उंचा उठ सके।
पवार ने इससे पहले रायपुर के निकटवर्ती ग्राम
बरौण्डा में 121 करोड़ रूपए की लागत वाले देश के पहले नेशनल बॉयोटिक स्ट्रेस
मैनेजमेंट इस्टीट्यूट :राष्ट्रीय जैविक दबाव प्रबंधन संस्थान: का शिलान्यास किया।
पवार ने कहा कि 121 करोड़ रूपए की लागत से स्थापित किए
जा रहे इस उन्होंने कहा कि इस संस्थान को बाद में डीम्ड विश्वविद्यालय की
मान्यता दी जाएगी।
इसके शुरू हो जाने से छत्तीसगढ़ सहित देश भर के
किसानों को इसका लाभ मिलेगा और कृषि के क्षेत्र में विकास को और ज्यादा गति
मिलेगी। किसानों में समृद्धि आएगी।
कें्रदीय कृषि मंत्री ने कहा कि
छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। छत्तीसगढ़ में दुग्ध
उत्पादन के लिए पशु सुधार के लिए राज्य को केन््रद सरकार मदद करेगी। राज्य
में मछली उत्पादन में विकास के लिए भी केन््रद सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग
दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में सब्जी के उत्पादन और व्यापार में बढ़ोत्तरी की
जरूरत है। केन््रद सरकार इसके लिए भी राज्य को मदद देगी।
इस अवसर पर
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि हम सब के लिए खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़
को राष्ट्रीय जैविक दबाव प्रबंधन संस्थान की सौगात मिली है। यह ऐतिहासिक
उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ आने वाले समय में कृषि विकास में लम्बी छलांग लगाएगा
और देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाएगा।
सिंह ने कहा कि संस्थान की
स्थापना डाक्टर एच.आर. रिछारिया अनुसंधान एवं अनुदेशक प्रक्षेत्र बरौंडा
में की जा रही है। डाक्टर रिछारिया ने छत्तीसगढ़ में काम करते हुए यहां की
17 हजार से अधिक स्थानीय धान की प्रजातियों संग्रहण किया था। आज यह
प्रजातियां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जनन्रदव्यकेन््रद में
सुरक्षित है। रायपुर में हुए कार्यक्रमों के दौरान मुख्यमंत्री ने कें्रदीय
कृषि मंत्री से धान का समर्थन मूल्य दो हजार रूपए किए जाने तथा अन्य
मांगें भी रखी।
देश के किसानों के बदौलत आज भारत कई देशों को अनाज का निर्यात कर रहा है।
राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान मेला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पवार
ने कहा कि आज भारत के किसानों ने दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है।
एक समय था जब दुनिया के कई देशों से भारत अनाज आयात करता था। लेकिन अब आज
बड़ी मात्रा में अनाज, फलों और सब्जियों का निर्यात कर रहा है।
उन्होंने
छत्तीसगढ़ के किसानों की कामयाबी के के बारे में कहा कि देश पहले चावल की
आपूर्ति के लिए पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे
राज्यों पर निर्भर था। लेकिन पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ ने चावल उत्पादन के
क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की की है। यहां के किसान काफी मेहनती और लगनशील
है और उनमें क्षमता भी है कि वे देश की आशाओं को पूरा कर सकें।
पवार
ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में जो भी सुझाव या मांगे
रखी गई हैं, उस पर भारत सरकार गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने राज्य
सरकार से आह्वान किया कि कें्रद और राज्य सरकार मिल कर एक ऐसी योजना बनाएं
जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके और उनका
जीवन स्तर उंचा उठ सके।
पवार ने इससे पहले रायपुर के निकटवर्ती ग्राम
बरौण्डा में 121 करोड़ रूपए की लागत वाले देश के पहले नेशनल बॉयोटिक स्ट्रेस
मैनेजमेंट इस्टीट्यूट :राष्ट्रीय जैविक दबाव प्रबंधन संस्थान: का शिलान्यास किया।
पवार ने कहा कि 121 करोड़ रूपए की लागत से स्थापित किए
जा रहे इस उन्होंने कहा कि इस संस्थान को बाद में डीम्ड विश्वविद्यालय की
मान्यता दी जाएगी।
इसके शुरू हो जाने से छत्तीसगढ़ सहित देश भर के
किसानों को इसका लाभ मिलेगा और कृषि के क्षेत्र में विकास को और ज्यादा गति
मिलेगी। किसानों में समृद्धि आएगी।
कें्रदीय कृषि मंत्री ने कहा कि
छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। छत्तीसगढ़ में दुग्ध
उत्पादन के लिए पशु सुधार के लिए राज्य को केन््रद सरकार मदद करेगी। राज्य
में मछली उत्पादन में विकास के लिए भी केन््रद सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग
दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में सब्जी के उत्पादन और व्यापार में बढ़ोत्तरी की
जरूरत है। केन््रद सरकार इसके लिए भी राज्य को मदद देगी।
इस अवसर पर
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि हम सब के लिए खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़
को राष्ट्रीय जैविक दबाव प्रबंधन संस्थान की सौगात मिली है। यह ऐतिहासिक
उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ आने वाले समय में कृषि विकास में लम्बी छलांग लगाएगा
और देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाएगा।
सिंह ने कहा कि संस्थान की
स्थापना डाक्टर एच.आर. रिछारिया अनुसंधान एवं अनुदेशक प्रक्षेत्र बरौंडा
में की जा रही है। डाक्टर रिछारिया ने छत्तीसगढ़ में काम करते हुए यहां की
17 हजार से अधिक स्थानीय धान की प्रजातियों संग्रहण किया था। आज यह
प्रजातियां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जनन्रदव्यकेन््रद में
सुरक्षित है। रायपुर में हुए कार्यक्रमों के दौरान मुख्यमंत्री ने कें्रदीय
कृषि मंत्री से धान का समर्थन मूल्य दो हजार रूपए किए जाने तथा अन्य
मांगें भी रखी।