सपनों को पंख लगाता अखिलेश यादव का हजार- आशीष राय की रिपोर्ट

लखनऊ.
किसी के लिए ब्यूटी पार्लर तो किसी के लिए बच्चे की साइकिल, कोई अपने इन
पैसों को साल भर इक्कठा कर एक छोटी सी दुकान खोलना चाहता है। कोई अपनी बेटी
की फ़ीस भरने का जुगाड़ बना रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा एक
हज़ार का बेरोज़गारी भत्ता बांटा गया। कई बेरोज़गारों की आंखों में हज़ारों
सपने दे गया।




उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ‘बेरोजगारी भत्ता’ के
वितरण की शुरुआत हो गई। बेरोज़गारी भत्ता देने के ऐलान के दम पर यूपी की
सत्ता पर कब्ज़ा करने वाली अखिलेश सरकार ने 10500 युवा बेरोज़गारी की आंखों
में अलग-अलग सपने दे दिए। सरकार द्वारा बांटा गया यह एक हज़ार रुपये आज के
दौर मे भले ही कम रकम हो लेकिन इसे पाने वाले मानते हैं कि उन्होंने जो भी
सपने देखे थे वह यह एक हज़ार रुपये ज़रुर पूरे करेगा।




उन्नाव से बेरोज़गारी भत्ता लेने पहुंची 35 साल की रज़िया बेगम कहती हैं कि
इस एक हज़ार को जोड़-जोड़ कर वह दो साल बाद अपना ब्यूटी पॉर्लर खोलेंगी।
उन्नाव की रहने वाली सुनीता पर अपने पति की मौत के बाद पूरे परिवार की
ज़िम्मेदारी है। सुनीता का कहना है कि इस एक हज़ार में वह अपने छोटे-छोटे दो
बच्चों की फ़ीस भर सकेगी ताकि उन की पढ़ाई न रुके। देश की सब से ताक़तवर
महिला कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से भत्ता
लेने पहुंची सुषमा पाण्डेय इस एक हज़ार को इक्कठा कर के अपने बच्चों के लिए
एक कंप्यूटर खरीदना चाहती हैं ताकि उनके बच्चे कंप्यूटर सीख कर इस आधुनिक
दुनिया से तालमेल जोड़ सके। कुछ महिलाएं अखिलेश के इन एक हज़ार से अपनी
खूबसूरती निखारने का जुगाड़ बना रही थीं।






महिलाओं के बाद पुरुषों को भत्ता बांटा गया। कई पुरुष ऐसे थे जो ज़रूरतमंद
थे लेकिन कुछ कर बेरोज़गारी भत्ता पाने के हक़दार नहीं थे। लखनऊ के रहने
वाले सुरेश प्रजापति बेहद गरीब हैं और उन का एक पैर खराब है। अखिलेश यादव
सरकार के इन एक हज़ार रुपयों को वह इक्कठा कर साइकिल का पंचर बनाने वाली
दुकान खोलना चहाते हैं तो वहीं सीतापुर और लखीमपुर खीरी से पहुंचे सुरेश और
पंकज लाल अपने इन पैसों से सब्जी का ठेला लगाना चाहते हैं।

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