बीज घोटाले का पर्दाफाश, आखिर कहां गए 69 करोड़ रुपए- इंद्रप्रीत सिंह

चंडीगढ़।बीज घोटाले का पर्दाफाश करने वाले विपक्ष के नेता सुनील
जाखड़ ने अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की 69.43 करोड़ की
ग्रांट को लेकर सरकार को घेरे में लिया है।जाखड़ ने आरोप लगाया कि केंद्र
सरकार ने इस योजना की दूसरी किश्त भी पंजाब सरकार को जारी कर दी है लेकिन
वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा ने बजट बहस में कहा था कि केंद्र ने दूसरी
किश्त नहीं दी। सिर्फ पहली किश्त के 69.44 करोड़ रुपए ही जारी किए हैं।
उधर आरटीआई से प्राप्त की गई सूचना के तहत इस योजना की दूसरी किश्त 13
मार्च 2012 को ही जारी कर दी गई थी। जाखड़ का आरोप है कि एक तो वित्तमंत्री
उन्हें गलत जानकारी दे रहे हैं और ऊपर से कहते हैं कि कई बार ग्रांट
मिसमैनेज भी हो जाती है। जाखड़ का आरोप है कि पैसा आखिर गया कहां, कहीं
इसका दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। ये पैसा कृषि की बजाए कहीं ओर ही खर्च
किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार केंद्र पर केंद्रीय
योजनाओं का पैसा जारी न करने का आरोप लगाती रहती है जबकि हकीकत यह है कि ये
पैसा किसानों के पास पहुंचता ही नहीं है। जाखड़ ने सीएम बादल से मांग की
है कि इस मामले की सीबीआई या विधानसभा कमेटी से जांच करवाई जाए। उधर
डायरेक्टर एग्रीकल्चर और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव का भी कहना है कि इस
योजना की दूसरी किश्त जारी हो चुकी है।

वित्तमंत्री ढींडसा पर लगाया झूठ बोलने का आरोप

योजना
क्या राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के कई कंपोनेंट हैं। इसके तहत राशि का
प्रयोग बीजों पर रिसर्च, सब्जियों का रकबा बढ़ाना, डेयरी का विकास करना और
प्रोटीन सप्लीमेंट को बढ़ावा देने में किया जाता है। पंचवर्षीय इस योजना
में हर साल करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए मिलते हैं।

देनदारियां निपटाने में लगी सरकार
सुनील जाखड़ ने कहा कि जितनी भी केंद्रीय योजनाओं का पैसा राज्य सरकार को
मिलता है, उसे समय रहते जारी करने की बजाए देनदारियों को निपटाया जाता है।
इसके बाद अगली किश्तें लैप्स न हो जाएं तो केंद्रीय फंड जारी किए जाते हैं
वह भी ऐसे समय जब ये खर्च ही नहीं हो पाते और आनन फानन में इसे गलत ढंग से
खर्च करके करोड़ों रुपए के घोटाले किए जाते हैं। आरकेवीवाई में भी पैसा
पहले ही जारी हो गया लेकिन सरकार ने विभाग को तब दिया जब यह खर्च हो ही
नहीं सकता था।

पैसे की कमी से बीजों पर रिसर्च रुकी

पंजाब
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने लंबे समय से किसी नए बीज की खोज नहीं की है और
पुराने बीजों की पैदावार क्षमता एक निश्चित स्तर पर आकर रुक गई है। बीजों
को बदलने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है। इसके अलावा गेहूं और धान की मांग
में आई कमी के कारण किसानों को डेयरी और सब्जियों की ओर डाइवर्सिफाई करने
की जरूरत है। खुद मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल ने कृषि मंत्री शरद पवार से
पिछले हफ्ते एक हजार करोड़ रुपएकी मांग की थी। ऐसे में थोड़े बहुत मिल रहे
पैसे भी ठप हो जाएंगे।

किसानों पर असर

केंद्रीय योजना
की पहली किश्त खर्च करने के बाद जब राज्य सरकार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट
भेजती है तभी केंद्र दूसरी किश्त जारी करता है। यदि सरकार ऐसा नहीं करेगी
तो केंद्र अगली किश्तें रोक लेगा जिसका किसानों को नुकसान होगा।

बीज
घोटाले की जांच तो ठंडी ही पड़ गई इससे पहले सुनील जाखड़ ने पिछली सरकार के
कार्यकाल के दौरान बीज घोटाले का भी पर्दाफाश किया था। इसकी जांच विधानसभा
कमेटी के हवाले की गई है। कमेटी ने जांच की लेकिन इससे पहले कि रिपोर्ट
तैयार हो पाती, विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया और जांच ठंडे बस्ते में
चली गई।

॥आरकेवीवाई की दूसरी किश्त हमें 31 मार्च के बाद मिली है।
हम इस राशि को एग्रीकल्चर और एलाइड सेक्टर में खर्च रहे हैं। पैसे का
दुरुपयोग नहीं हुआ है।’’ मंगल सिंह, डायरेक्टर एग्रीकल्चर विभाग

॥आरकेवीवाई
का पैसा मार्च माह के अंत में आया था। निश्चित तौर पर यह राशि 31 मार्च से
पहले खर्च नहीं हो पाती। इसलिए हमने कृषि विभाग को यह राशि 11 मई को जारी
कर दी थी।’’ सतीश चंद्रा, प्रमुख वित्त सचिव पंजाब


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