जालंधर.
राज्य में कम संसाधनों के साथ अपनी शिक्षा को खींच रहे ग्रामीण क्षेत्रों
के विद्यार्थी शायद अब आईआईटी का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। आईआईटी में एडमिशन
के लिए केंद्र सरकार ने जो नए नियम तय किए हैं, उसके अनुसार 12वीं में
बोर्ड के टॉप 20 फीसदी में आने वाले विद्यार्थी ही आईआईटी मेन्स की परीक्षा
में बैठ सकेंगे। जबकि इससे पहले 12वीं में 60 फीसदी अंक लाने वाले
विद्यार्थी परीक्षा दे सकते थे। कम संसाधनों व अध्यापकों की कमी की वजह से
ग्रामीण क्षेत्र किसी तरह ६क् फीसदी अंक पाते थे। अब नए नियम उनके लिए और
मुश्किल पैदा करेंगे।
नहीं ले पाएंगे दाखिला
हिमाचल प्रदेश के शिमला से आए अक्षित चौहान ने बताया कि उनके पिता सीआरपीएफ
में है और पंजाब ट्रांसफर हुई थी, जिससे उन्हें पंजाब में पढ़ने का अवसर
मिला। पंजाब बोर्ड में 60 फीसदी अंक लेना भी बड़ी बात होती है। मिडिल क्लास
परिवार से जुड़े होने के कारण ट्यूशन आदि पढ़ नहीं सकते। ऐसे में टॉप 20
में कैसे आ पाएंगे। इस तरह वो विद्यार्थी आईआईटी से दूर हो जाएंगे। इसका
विकल्प निकालना होगा।
जागरूक नहीं हैं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग
गांव निहालुवाल (शाहकोट) में रहने वाले गुरकृपाल सिंह ने बताया कि दो साल
से कोचिंग ले रहे हैं क्योंकि उनके भाई ने पहले बिना कोचिंग के एआईईईई में
अच्छा रैंक हासिल किया था, अब अभिभावक चाहते हैं कि वह आईआईटी तक पहुंचे।
इसके लिए तैयारी चल रही है लेकिन अब नए फैसले से विद्यार्थियों पर दबाव
बढ़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जागरूक नहीं है, जिस वजह से वह बच्चे को
पूरी तैयारी नहीं करवा पाते। 60 से 70 फीसदी अंक लाने का लक्ष्य रखने वाले
ही अब आईआईटी और अन्य उच्च संस्थानों में पहुंच पाएंगे।
यह किया बदलाव
12वीं में अपने बोर्ड में टॉप 20 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थी आईआईटी
मेन्स की परीक्षा देंगे। मेन्स की परीक्षा के बाद जो लोग टॉप 20 परसेंटाइल
में आएंगे, उनमें से पहले 1.5 लाख विद्यार्थी आईआईटी एडवांस परीक्षा देंगे।
जिन्हें आईआईटी में दाखिला मिल सकेगा।
तीन परीक्षा देगी दिक्कत फिजिक्स अध्यापक योगेश गुप्ता ने बताया कि तीन
परीक्षाएं देना विद्यार्थियों के लिए आसान नहीं होगा। पुराने सिस्टम में 60
फीसदी अंक लेना मुश्किल नहीं था। पर अब पहले बोर्ड में टॉप में आना फिर
आईआईटी की दो परीक्षाएं पास करना बेहद मुश्किल होगा।
परेशान हो जाएंगे विद्यार्थी
फिजिक्स अध्यापक सचिन कुमार ने बताया कि इस सिस्टम में विद्यार्थी परेशान
हो जाएंगे। विद्यार्थी 12वीं में ज्यादा बेहतर तैयारी तो करेंगे लेकिन
कंफ्यूज हो जाएंगे कि उनका नंबर आएगा या नहीं। वहीं ज्यादानुकसान ग्रामीण
क्षेत्रों का होगा।
अलग हो सिस्टम
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल कमलजोत कौर ने बताया कि
सरकारी स्कूलों के लिए अलग सिस्टम चाहिए था। सरकारी स्कूल भी अब बेहतर
रिजल्ट ला रहे हैं। परंतु फिर भी प्राइवेट संस्थानों से मुकाबला बेहद कड़ा
होता है।
राज्य में कम संसाधनों के साथ अपनी शिक्षा को खींच रहे ग्रामीण क्षेत्रों
के विद्यार्थी शायद अब आईआईटी का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। आईआईटी में एडमिशन
के लिए केंद्र सरकार ने जो नए नियम तय किए हैं, उसके अनुसार 12वीं में
बोर्ड के टॉप 20 फीसदी में आने वाले विद्यार्थी ही आईआईटी मेन्स की परीक्षा
में बैठ सकेंगे। जबकि इससे पहले 12वीं में 60 फीसदी अंक लाने वाले
विद्यार्थी परीक्षा दे सकते थे। कम संसाधनों व अध्यापकों की कमी की वजह से
ग्रामीण क्षेत्र किसी तरह ६क् फीसदी अंक पाते थे। अब नए नियम उनके लिए और
मुश्किल पैदा करेंगे।
नहीं ले पाएंगे दाखिला
हिमाचल प्रदेश के शिमला से आए अक्षित चौहान ने बताया कि उनके पिता सीआरपीएफ
में है और पंजाब ट्रांसफर हुई थी, जिससे उन्हें पंजाब में पढ़ने का अवसर
मिला। पंजाब बोर्ड में 60 फीसदी अंक लेना भी बड़ी बात होती है। मिडिल क्लास
परिवार से जुड़े होने के कारण ट्यूशन आदि पढ़ नहीं सकते। ऐसे में टॉप 20
में कैसे आ पाएंगे। इस तरह वो विद्यार्थी आईआईटी से दूर हो जाएंगे। इसका
विकल्प निकालना होगा।
जागरूक नहीं हैं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग
गांव निहालुवाल (शाहकोट) में रहने वाले गुरकृपाल सिंह ने बताया कि दो साल
से कोचिंग ले रहे हैं क्योंकि उनके भाई ने पहले बिना कोचिंग के एआईईईई में
अच्छा रैंक हासिल किया था, अब अभिभावक चाहते हैं कि वह आईआईटी तक पहुंचे।
इसके लिए तैयारी चल रही है लेकिन अब नए फैसले से विद्यार्थियों पर दबाव
बढ़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जागरूक नहीं है, जिस वजह से वह बच्चे को
पूरी तैयारी नहीं करवा पाते। 60 से 70 फीसदी अंक लाने का लक्ष्य रखने वाले
ही अब आईआईटी और अन्य उच्च संस्थानों में पहुंच पाएंगे।
यह किया बदलाव
12वीं में अपने बोर्ड में टॉप 20 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थी आईआईटी
मेन्स की परीक्षा देंगे। मेन्स की परीक्षा के बाद जो लोग टॉप 20 परसेंटाइल
में आएंगे, उनमें से पहले 1.5 लाख विद्यार्थी आईआईटी एडवांस परीक्षा देंगे।
जिन्हें आईआईटी में दाखिला मिल सकेगा।
तीन परीक्षा देगी दिक्कत फिजिक्स अध्यापक योगेश गुप्ता ने बताया कि तीन
परीक्षाएं देना विद्यार्थियों के लिए आसान नहीं होगा। पुराने सिस्टम में 60
फीसदी अंक लेना मुश्किल नहीं था। पर अब पहले बोर्ड में टॉप में आना फिर
आईआईटी की दो परीक्षाएं पास करना बेहद मुश्किल होगा।
परेशान हो जाएंगे विद्यार्थी
फिजिक्स अध्यापक सचिन कुमार ने बताया कि इस सिस्टम में विद्यार्थी परेशान
हो जाएंगे। विद्यार्थी 12वीं में ज्यादा बेहतर तैयारी तो करेंगे लेकिन
कंफ्यूज हो जाएंगे कि उनका नंबर आएगा या नहीं। वहीं ज्यादानुकसान ग्रामीण
क्षेत्रों का होगा।
अलग हो सिस्टम
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल कमलजोत कौर ने बताया कि
सरकारी स्कूलों के लिए अलग सिस्टम चाहिए था। सरकारी स्कूल भी अब बेहतर
रिजल्ट ला रहे हैं। परंतु फिर भी प्राइवेट संस्थानों से मुकाबला बेहद कड़ा
होता है।