रियो-डी जिनेरियोः भारत ने गुरुवार को कहा कि हरित अर्थव्यवस्था के
उद्देश्यों के कार्यान्यवन के लिए विकासशील देशों को बढ़े साधन मुहैया
कराने में विकसित देशों की कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति से वह निराश है. यदि
इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक तरीके से लागू नहीं किया गया, तो वह आंखों में
धूल झोंकने के बराबर होगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित करीब 100 विश्व नेता यहां रियो+ 20
पर्यावरण शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. भारत ने हरित अर्थव्यवस्था के
नाम पर उन व्यापार बाधाओं और एकतरफा उपायों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है,
जिन पर सम्मेलन के पहले चर्चा थी. भारत ने हालांकि हरित अर्थव्यवस्था को
सतत विकास एवं गरीबी उन्मूलन के उपायों में से एक बताया है.
भारत के दो प्रस्तावों पर सहमति
विश्व के प्रमुख नेता दो महत्वपूर्ण तंत्रों पर सहमत हुए हैं. उनमें एक
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण है, जबकि दूसरा वित्त से जुड़ा हुआ है. इसे रियो
सम्मेलन में भारत की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों प्रस्ताव
भारतीय थे और इसे समूह-77 देशों का जोरदार समर्थन मिला. समर्थन करने वालों
में अफ्रीका और छोटे द्वीपीय देशों के अलावा अल्प विकसित राष्ट्र शामिल
हैं.
रियो सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास पर सम्मेलन के नाम से भी
जाना जाता है. नटराजन ने कहा कि अब हम सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करने को
उत्सुक हैं कि इन तंत्रों को लागू किया जाये और विकासशील देशों को प्रभावी
तरीके से मुहैया कराया जाये. नटराजन ने रियो प्लस सम्मेलन के जल्दी नतीजे
पर पहुंचने का स्वागत किया. इसमें भारत के हितों और उसकी चिंताओं पर विचार
किया गया.
हरित अर्थव्यवस्था बढ़े
पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने से कहा, हरित अर्थव्यवस्था बढ़ाना होगा.
इसका लोकतंत्रीकरण करना होगा. ऐसा नहीं होने पर यह सिर्फ आंखों में धूल
झोंकने के बराबर होगा. ऐसा होने पर गरीबों के लिए वहनीय हो सकेगी.
भारत पूरे पैकेज से संतुष्ट
उन्होंने कहा कि जहां तक भारत की बात है, हमारी चिंताओं और हितों पर गौर
किया गया और हम पूरे पैकेज से संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि भारत रियो में
रचनात्मक भूमिका में था और हमारे प्रस्तावों को व्यापक समर्थन मिला वहीं
हमारे प्रतिनिधिमंडल ने मतभेदों को दूर करने तथा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर
आम राय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.