उन्नींदा कानून, हरियाली का खून- पुष्कर सिंह रावत

न नियमों की परवाह और न नैतिकता का बंधन। उन्नींदे कानून के साए में ही
हरियाली का खून हो गया। विकास की आड़ में विनाश का यह खेल हुआ उत्तरकाशी
जिले के डुण्डा ब्लाक में। सड़क निर्माण के दौरान निकला मलबा वहीं जंगल में
उड़ेल दिया गया। बोल्डर (चट्टान से टूटे बड़े पत्थर) और मलबे के नीचे कुचले
हुए सौ से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों की कराह सरकारी महकमों को नहीं सुनाई दे
रही। निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) को तो
इसकी परवाह ही नहीं है, लेकिन वन विभाग का रवैया भी चौंकाने वाला है। विभाग
ने महज 12 हरे पेड़ों के दबान पर ठेकेदार का चालान काट अपनी जिम्मेदारी
निभा दी।

मामला अस्तल-डांडा मांजफ मोटर मार्ग का है। तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये की
लागत से बनने वाली सात किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण वर्ष 2009-10 में
शुरू हुआ। इस दौरान वन विभाग से सड़क निर्माण की जद में आने वाले 802 पेड़ों
के कटान की मंजूरी ली गई। इनमें से 170 पेड़ सिविल भूमि व 632 पेड़ आरक्षित
वन भूमि पर थे। यहां तक तो सब ठीक था। मलबा डालने के लिए वन विभाग ने लोक
निर्माण विभाग को दो डंपिंग जोन उपलब्ध कराए। इनमें से एक नरसिंहखाल और
दूसरा गुनालगांव के पास। सड़क का कटिंग कार्य शुरू हुआ तो सारी कवायद ताक पर
रख दी गई। चट्टानों को तोड़ने के लिए विस्फोटों का इस्तेमाल किया गया और
इससे जमा मलबे को डंपिंग जोन की बजाय वहीं जंगल में फेंक दिया गया। सुझाए
गए डंपिंग जोन का उपयोग नाममात्र के लिए ही किया गया। परिणाम स्वरूप चीड़,
भीमल, बांज, ग्वीराल, कलनी प्रजाति के सौ से ज्यादा हरे-भरे पेड़ नष्ट हो
गए।

समूचे मामले में लोनिवि की लापरवाही के साथ ही वन विभाग का रवैया हैरत
में डालने वाला है। विभाग की ओर से बीती पांच मई को महज 12 हरे पेड़ों के
दबान पर ठेकेदार का चालान काटकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी। मौके पर
मलबे के नीचे से झाकते पेड़ों के तने और टहनियां विभाग को नजर नहीं आई।

‘मोटर मार्ग के निर्माण में डंपिंग से वन संपदा के नुकसान पहुंचाना गलत
है, अधिशासी अभियंता साइट पर जाकर इसकी जांच कर रहे हैं, प्रकरण सही पाये
जाने पर कार्रवाई की जाएगी’

-एसएस यादव, अधीक्षण अभियंता, लोनिवि

‘अस्तल डांडा मांजफ मोटर मार्ग के निर्माण में वन संपदा नष्ट होने पर
एक बार चालान काटा गया है। वन क्षेत्राधिकारी को स्थिति का आकलन करने के
निर्देश दिये गये हैं और नुकसान की सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाएगी’

डा.आईपी सिंह, डीएफओ, उत्तरकाशी वन प्रभाग।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *