एमपी: प्रदेश में किराना कारोबार बंद, नाश्ते के भी पड़े टोटे

भोपाल। खाद्य
सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के विरोध में कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया
ट्रेडर्स के आह्वान पर प्रदेश में किराना कारोबारी एक दिन का बंद रखें हैं।
होटल, रेस्टोरेंट, निजी दूध डेयरी एवं खान-पान की अन्य छोटी-बड़ी दुकानें
बंद हैं। बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है। यूनियन के लोग घूम-घूम कर शेष
खुली दुकानें भी बंद करा रहे हैं।

 

ये चीजें नहीं मिल रहीं

 

तेल,
दाल, चावल, शक्कर, आटा मैदा, चायपत्ती, धनिया, मिर्च पावडर, गरम मसाला,
ब्रेड, टोस्ट, पेस्टी, दूध पाउडर, कचौरी, समोसा, ब्रेड पकौड़ा, दही, मावा,
चक्का, छाछ, जूस, गेहूं, चना, अन्य दालें, कोल्ड ड्रिंक्स नहीं मिल रही है।

 

क्यों हो रहा है विरोध

 

वर्ष
2004 में कोल्ड ड्रिंक में मिलावट का मुद्दा गरमाने के बाद इस कानून की
जरूरत समझी गई। 2005 में लोकसभा में बिल पेश होने के बाद इसे कृषि संबंधी
स्थायी समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने उस समय लागू सात कानूनों खाद्य
मिलावट निरोधक कानून 1954, फल उत्पाद आदेश 1955, मीट फूड ऑर्डर 1973, दूध
और दूध से बनने वाले पदार्थ आदेश 1992 और खाद्य तेल ऑर्डर 1988 को मिलाकर
एक कानून बनाने की सिफारिश की थी।

 

मिलावट के खिलाफ कानून

 

दूध में पानी मिलाने पर भी रोक

 

– किस खाद्य पदार्थ में किस वस्तु की कितनी मात्रा मिलाई जा सकती है यह इस कानून में तय कर दिया गया है।

 


फलों को कार्बाइड से पकाने के साथ दूध में पानी की मिलावट पर भी कानून में
रोक लगा दी गई है। ऐसे पदार्थो की भी लंबी सूची दी गई है जिसे खाद्य
पदार्थ के रूप में नहीं बेचा जा सकता।

 

– प्रदूषित और विषैले खाद्य पदार्थो की भी व्याख्या की गई है। खाद्य पदार्थो की पैकिंग और लेबलिंग का भी निर्धारण कर दिया गया है।

 

व्यापारियों को यह है परेशानी

 

– नए नियम बेहद सख्त हैं। इनके लागू होने के बादअगर फल सड़ा निकलता है तो ठेले वाले को सीधे जेल हो सकती है।

 

– पैक बंद वस्तुओं के खराब निकलने पर निर्माता की जगह बेचने वाले को जवाबदेह बनाया गया है।

 


यह कानून खुले खाद्यान्नों पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है। सड़क के
किनारे बिकने वाली आइसक्रीम के साथ पोहा, जलेबी की बिक्री मुश्किल होगी।

 


व्यापारियों के यहां काम करने वाले कर्मचारियों का नियमित स्वास्थ्य
परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। व्यापारियों के अनुसार यह बेहद खर्चीला
प्रावधान है।

 

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