नक्सली क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों पर था बयान
द आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि उन्होंने विशेष तौर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के दयनीय सरकारी स्कूलों के बारे में बयान दिया था। इन क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों से आने वाले अधिकतर छात्र नक्सली बन गए। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में उनकी संस्था 185 निःशुल्क विद्यालय चलाती है। उन्होंने अन्य संस्थानों से शिक्षा के माध्यम से शांति फैलाने के इस मुहिम में शामिल होने की अपील की।
बयान जिससे मचा वबाल
श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं इसलिए उनका निजीकरण कर देना चाहिए। उनका मानना है कि देश के सभी स्कूलों को प्राइवेट कर देना चाहिए और सरकारों को इससे दूर रहना चाहिए। रविशंकर ने कहा था कि उनके अनुसार सरकारी स्कूलों के बच्चे अंत में नक्सली बनते हैं जबकि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे नक्सली गतिविधियों में कभी शामिल नहीं होते। सरकारी स्कूलों में आदर्श की कमी होती है इस वजह से वहां के बच्चे हिंसक और नक्सली प्रवृत्ति के होते हैं।
कपिल सिब्बल ने भी जताया था ऐतराज
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल भी बुधवार को श्री श्री रविशंकर के बयान पर आश्चर्यचकित थे। उन्होंने भी आधात्मिक गुरू के बयान पर प्रश्न उठाया था। उन्होंने कहा था कि जो लोग विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर आसीन हैं और सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं क्या वे सभी नक्सली हैं।
रविशंकर के खिलाफ इस्तगासा दायर
श्री श्री के बयान पर बुधवार को जयपुर में बवाल मच गया था। शिक्षक और सामाजिक संगठनों के अलावा जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया। राजस्थान में कई जगह श्री श्री के पुतले फूंके गए। जयपुर में सांगानेर न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में श्री श्री रविशंकर के खिलाफ इस्तगासा भी दायर किया गया। इस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी है। इस्तगासा सांगानेर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र ढाका और पूर्व महासचिव जेपी शर्मा सहित अन्य ने दायर किया है।